उत्तरकाशी
Uttarakhand News: बर्फबारी के दौरान खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे छात्र, 8 साल से नहीं मिला कोई भवन…
Uttatakhand News: उत्तराखंड राज्य के एक सुदूरवर्ती गांव में शिक्षा व्यवस्था इतनी खराब है कि वहां बच्चों को बर्फबारी के दौरान खुले आसमान में बैठकर शिक्षा प्राप्त करना पड़ रहा है। बता दें कि शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल बयां करता यह पहला मामला नहीं है। ऐसे बहुत से स्थान है जहां विद्यालय तो है लेकिन शिक्षक नहीं है। और ऐसे स्थान भी है जहां कोई विद्यालय ही नहीं है।
हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के गोविंद वन्यजीव विहार के अंतर्गत सुदूर गांव फिताड़ी में स्थित एक विद्यालय कि जिसका नाम है राजकीय जूनियर हाईस्कूल। मिली जानकारी अनुसार विद्यालय में भवन ना होने के कारण शिक्षक और विद्यार्थी खुले आसमान में बैठ पढ़ाने व पढ़ने को मजबूर हैं । बीते दिनों बर्फबारी के दौरान भी बच्चे बाहर बैठ कर पढ़ाई करने को बाध्य थे। हैरानी कि बात तो यह है कि उस गांव में पुरोला के विधायक भी रहते हैं। विधायक के मौजूदगी में भी विद्यालय का ऐसा हाल है।
इस विद्यालय को वर्ष 2012 में हाईस्कूल में उत्थान किया गया था। हाईस्कूल में रुपान्तरित करने के 4 वर्ष पश्चात वर्ष 2016 से इस विद्यालय में हाईस्कूल की कक्षाएं संचालित हो रही है। बता दें कि विद्यालय के स्थापना के दौरान विद्यालय में मात्र 3 कमरे मौजूद थे। विद्यालय हाईस्कूल उत्थान के बाद भी विद्यालय में 3 ही कमरे मौजूद हैं। 2024 यानी 8 साल बाद भी उस विद्यालय में वही 3 कमरे मौजूद हैं। इस विद्यालय में फिताड़ी गांव के अलावा रेक्चा, हरीपुर, कासला और लिवाड़ी गांव से भी पढ़ने के लिए बच्चे आते हैं। बता दें कि इस विद्यालय में अध्ययनरत कुल विद्यार्थियों की संख्या लगभग 120 के आसपास है।
पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल का इस मामले में कहना है कि वहां के ग्रामीणों ने विद्यालय भवन के लिए भूमि दाननामा किया था। परन्तु कुछ लोगों ने अपनी भूमि आने पर आपत्ति दर्ज करवाई। बताया जा रहा है कि अभी तक इस मामले को सुलझाने कि कोशिश कि जा रही है। खंड शिक्षा अधिकारी पंकज कुमार का कहना यह है कि विद्यालय के हाईस्कूल रुपान्तरण के लिए अभी तक शासन-प्रशासन से स्वीकृति नहीं मिली है। और शासन-प्रशासन की स्वीकृति मिलने पर ही काम आगे बढ़ाया जाएगा। साथ ही यह भी बताया कि जिला प्रशासन को विभाग की ओर से विद्यालय की जानकारी बी श्रेणी में भेज दी गई है। अब देखना यह है कि विद्यालय में आवश्यक कक्ष कब तक बनते हैं? कब तक बच्चों को ऐसे खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढ़ाई करना पड़ेगा? सोचने को बाध्य कर रही है यह खबर कि बारिश के दौरान बच्चों का क्या हाल होता होगा?
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