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Chhatrapati Shivaji: मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज कि जयंती के शुभ अवसर पर जानिए सम्राट की महानता…
Chhatrapati Shivaji Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024: हिन्द स्वराज के संस्थापक परम प्रतापी योद्धा, अद्भुत साहस व शौर्य के प्रतीक, मातृभूमि के अनन्य साधक, अद्वितीय योद्धा, महान रणनीतिकार व कुशल प्रशासक और धर्म के प्रति समर्पित छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन ।
वीरता की मिसाल छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और धर्म के प्रति किए गए त्याग की लोग मिसालें देते हैं। उन्होंने अपने कर्मों से अपना नाम भारतवर्ष के इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखा। शिवाजी महाराज ने भारत को मुगलों के चंगुल से आजाद कराया था। 19 फरवरी 1630 में छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था। महाराज का जन्म का नाम शिवाजी भोंसले था । और उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था। उस समय मुग़ल सल्तनत ने राजधानी दिल्ली समेत पूरे भारतवर्ष पर कब्जा कर लिया था।
राष्ट्र मुगलों के कब्जे में था। हिंदूओं पर होते असहनीय अत्याचार को देखकर 1645 में मात्र 15 वर्ष की आयु में महाराज ने हिंदू साम्राज्य को स्थापित करने के लिए पहला कदम उठाया था। हिंदू साम्राज्य स्थापित करने के इस प्रकरण में महाराज ने आदिलशाह द्वारा शासित बीजापुर में आक्रमण किया। कुशल रणनीति और गोरिल्ला युद्ध से आदिलशाह को मृत्यु दिया और विजय हासिल किया। बीजापुर में विजय होने के बाद महाराज ने बीजापुर के चार किलों पर कब्जा कर लिया था।
महाराज के पराक्रम, गोरिल्ला युद्ध, कुशल रणनीति कि चर्चा धीरे धीरे पूरे भारतवर्ष में होने लगी। यहां तक कि उनके शौर्य के चर्चे मुग़ल शासक औरंगजेब के कानों में भी पड़ी। और शिवाजी महाराज से सम्बन्धित तथ्य जान कर औरंगजेब डर गया था। इसी डर के चलते औरंगजेब ने संधि वार्तालाप के बहाने शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया और छल से उन्हें बंदी बना लिया। लेकिन कुछ ही दिनों में महाराज फल की टोकरी में बैठकर मुगल बंदीगृह से आजाद हो गए। और इस के बाद मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगल सल्तनत के खिलाफ जंग शुरू कर दिया।
1674 में शिवाजी महाराज ने भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी और उनको औपचारिक रूप से छत्रपति सम्राट का ताज पहनाया गया था। अपने शासनकाल में शिवाजी ने अदालत और प्रशासन में मराठी और संस्कृत भाषा के उपयोग को बढ़ावा दिया था। आपको बता दें कि उस समय फारसी भाषा का ज्यादा उपयोग किया जाता था।
3 अप्रैल 1680 में किसी गंभीर बीमारी के चलते परम प्रतापी योद्धा मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने प्राण त्याग दिए थे। और और भारतवर्ष के सुनहरे इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए।
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