उत्तराखंड
सवालः परीक्षाओं में धांधली की सजा मेहनती छात्रों को क्यों? आखिर मेरा क्या कसूर?
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग घोटाले के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक फैसले को लेकर पूरे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। दो दिन पहले मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में इस मामले में उच्च स्तरीय बैठक ली और इसके बाद आदेश दिया कि जिन भी भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत मिली है उन्हें सरकार रद्द किया जाए। फिर क्या था जैसे ही ये खबर बाहर आई पूरे प्रदेश में मेहनती बेरोजगार युवा फिर सड़कों पर उतर आया।
खासकर वो युवा जिन्होंने स्नातक स्तरीय परीक्षा पास कर ली थी बस उनको नियुक्ति पत्र मिलना बाकी था। स्नातक स्तरीय ये वही परीक्षा में जिसमें नकल का घोटाला सामने आया है। इस भर्ती घोटाले में अभी तक 25 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है और कई अन्य आरोपी रडार पर हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके अलावा दूसरी अन्य भर्तियों को भी रद्द करने की बात कही है जिनमें गड़बड़ी की आशंका है। अधीनस्थ चयन आयोग के रद्द होने के बाद प्रदेश भर में परीक्षा में उर्त्तीण हो चुके युवाओं ने जबरदस्त रोष देखा जा रहा है। हर मेहनती युवा का यही सवाल है कि आखिर मेरा क्या कसूर?
परीक्षा में धांधली की सजा मेहनती छात्रों को क्यों?
आखिर जिन बेरोजगारों की भागेदारी नकल घोटाले में नहीं है, उनकी आखिर क्या गलती है। मेहनती युवाओं ने तो पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत की और परीक्षा पास की है। सरकार को उन लोगों पर कार्यवाई करनी चाहिए जिन्होंने धांधली की है। कम से कम ऐसे युवाओं को दंड देने का क्या फायदा जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा पास की है। वहीं बेरोजगार युवाओं ने सरकार को चेतावनी दी है वह सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। यहां तक कि उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की स्नातक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण हुए मेहनती चयनित युवाओं के साथ साथ उनके परिजन और समाजसेवी कार्यकर्ताओं ने 29 अगस्त को गांधी पार्क से मुख्मयंत्री आवास तक कूच करने का का ऐलान भी कर दिया है। इतना ही नहीं कई युवाओं ने खुले तौर पर आत्मदाह करने की भी चेतावनी दे डाली है और सवाल भी वही कि आखिर मेरा क्या कसूर?
जो अपने दम पर भर्ती थे… आखिर उनका क्या कसूर
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग भर्ती घोटाला कई लोगों के साथ कई हाईप्रोफाइल की मिलीभगत को दर्शाता है। जो युवा अपनी मेहनत के दम पर उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा पास कर भर्ती हुए थे, उनका क्या कसूर? सरकार और आयोग की नाकामी उक्त युवाओं के भविष्य पर भारी पड़ी है। प्रदेश में बार-बार पेपर लीक हो रहे थे लेकिन शासन प्रशासन कोई जानकारी ही नहीं थी। लगातार भर्ती घोटालों का उजागर होना बेरोजगार युवाओं का हौंसला डगमगा रहा है। क्या प्रदेश सरकार और प्रदेश की कानून व्यवस्था हर मोर्चे पर फेल हो गई है। यह सवाल उन मेहनती युवा के जहन में दौड़ रहा है जिन्होने मेहनत करके परीक्षा उत्तीर्ण की और साथ ही उन युवाओं के मन में भी जो आगे प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश के युवाओं में डर भी है कि इसी तरह पेपर लीक होते रहे तो उनके भविष्य का क्या होगा.. सवाल पर सवाल हैं जिनका कोई जवाब नहीं..
बेरोजगारी चरम पर लेकिन सरकार साल में एक भी भर्ती नहीं करवा पाई
सालों से पेपर लीक हो रहे हैं तो कभी विधानसभा में नेता लोग अपने परिवार परिजनों को नौकरी दे रहे हैं लेकिन मेहनत कर नौकरी की तैयारी करने वाले युवा का क्या कसूर है। प्रदेश में कानून व्यवस्था बुरी तरह से डगमगा गई है क्या… क्योंकि दोरागा भर्ती में भी धांधली की सुगबुगाहट है। प्रदेश के अपराधिक प्रवृति के लोगों को कानून नाम से कोई भय नहीं रह गया है। प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है लेकिन इस साल सरकार एक भी भर्ती पूरी नहीं करवा पाई है। कोरोना काल में बेरोजगार हुए युवा रोजगार के लिए भटक रहे है। इसके बाद भी सरकार विकास का राग अलाप रही है। क्या केंद्र व प्रदेश सरकार युवाओं के हितों पर कुठाराघात कर रही है? जो कि प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ छलावा है। आज प्रदेश में बेरोजगारी दर देश में सर्वाधिक है। अधीनस्थ चयन आयोग में भर्ती सहित कई परीक्षाओं में भारी घोटाला हुआ है। प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार देवभूमि की संस्कृति को कलंकित कर रहे हैं जिसके परिणाम काफी घातक हो सकते हैं।
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