उत्तराखंड
उत्तराखंड में हो रही बड़े बदलाव की तैयारी, इन्हें मिल सकती है नगर निगम और वार्डों की जिम्मेदारी…
उत्तराखंड में जहां अभी तक निकाय चुनाव का पेंच फंसा हुआ है। वहीं खबर है कि धामी सरकार अब बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि आगामी दो दिसंबर से नगर निगमों की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और अन्य निकायों का कामकाज एसडीएम रैंक के अधिकारियों को मिल सकती है। सरकार ये फैसला समय पर चुनाव न होने की स्थिति में ले सकती है।
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में समय पर नगर निकायों के चुनाव की स्थिति न बनने के कारण इन्हें प्रशासकों के हवाले करने की कसरत शुरू हो गई है। शहरी विकास निदेशालय से इस संबंध में मिले प्रस्ताव पर शासन ने मंथन शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि दो दिसंबर को 84 नगर निकायों में प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे, प्रशासक की नियुक्ति छह माह के लिए की जाएगी। लेकिन तब तक निकायों के वर्तमान प्रतिनिधियों को पूरे पांच साल तक कार्य करने का अवसर मिल जाएगा।
बताया जा रहा है कि निकायों के वर्तमान बोर्ड की पहली बैठक पांच साल पहले दो दिसंबर को आयोजित हुई थी, इस बार फिर चुनाव समय पर नहीं होने के कारण शहरी विकास विभाग आगामी एक दिसंबर को निकायों में प्रशासक की नियुक्ति करने की तैयारी कर रहा है।नगर निगम की जिम्मेदारी जिलाधिकारी, जबकि नगर पालिका और नगर पंचायतों की जिम्मेदारी एसडीएम स्तर के अधिकारियों को सौंपी जाएगी। इस दिन 84 निकायों में प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।
हालांकि बाजपुर नगर पालिका का कार्यकाल जुलाई और रुड़की नगर निगम का कार्यकाल अगले साल नवंबर तक शेष होने के कारण, यहां निर्वाचित बोर्ड काम करता रहेगा। वहीं राज्य में वर्तमान में नगर निकायों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है। इनमें सात निकाय कुछ समय पहले ही अधिसूचित हुए हैं। ऐसे में अन्य निकायों के साथ इनके चुनाव कराना संभव नहीं है। शेष 103 निकायों में से केदारनाथ, बद्रीनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होते। रुड़की नगर निगम व बाजपुर नगर पालिका परिषद में चुनाव बाद में होने के कारण इनका कार्यकाल अगले वर्ष पूर्ण होना है।
गौरतलब है कि राज्य में पिछले नगर निकाय चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे। तब इन निकायों (नगर निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत) की संख्या 92 थी। तीन निकायों में चुनाव नहीं होते। तब 84 निकायों में एक साथ चुनाव हुए, जबकि शेष में 2019 में। 84 निकायों की पहली बैठक दो दिसंबर 2018 को हुई थी। निकाय एक्ट के अनुसार पहली बैठक से ही निकायों का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है।
इनका कार्यकाल अब दो दिसंबर को खत्म होने जा रहा है, लेकिन मतदाता सूची न बनने और ओबीसी आरक्षण से संबंधित रिपोर्ट न मिलने के कारण फिलहाल चुनाव की संभावना नहीं बन पा रही। इस परिदृश्य में वर्तमान में इन निकायों के जो भी प्रतिनिधि हैं, उन्हें पूरे पांच साल तक कार्य करने का अवसर मिल गया है। निकाय एक्ट में प्रविधान है कि कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव संपन्न करा दिए जाएं।

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