उत्तराखंड
56 लाख से अधिक रोगियों का हो चुका एम्स की ओपीडी में पंजीकरण
ऋषिकेश: वर्ष 2013 में ओपीडी सेवाओं की शुरूआत करने के बाद से रोगियों का इलाज करने के मामले में एम्स ऋषिकेश साल दर साल सिरमौर साबित हुआ है। मैनुअली रजिस्टर में रोगी का नाम अंकित करने की व्यवस्था से शुरू हुआ ओपीडी सेवाओं का यह सफर आज ऑनलाईन अपाइंटमेंट लेने तक पूरी तरह तकनीक आधारित हो चुका है।
संस्थान द्वारा उपलब्ध करवायी जा रही विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं पर आम लोगों के भरोसे का परिणाम है कि अब तक यहां 56 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा चुके हैं।
27 मई 2013 को जब एम्स ऋषिकेश के अस्पताल में रोगियों का इलाज शुरू किया गया था तो उस दौर में ओपीडी पर्चा बनवाने के लिए कम्पयूटर आधारित व्यवस्था नहीं हुआ करती थी। तब रजिस्टर पर रोगी का नाम, उम्र और पता लिखकर पेशेन्ट देखे जाते थे और अस्पताल द्वारा मुद्रित करवाए गए एक सादे कागज पर ही डाॅक्टरों द्वारा स्वास्थ्य परामर्श लिख दिया जाता था। ओपीडी सेवाएं भी बमुश्किल एक दर्जन विभागों की ही संचालित होती थीं। समय आगे बढ़ता गया तो ओपीडी सेवाओं और रोगियों के पंजीकरण के मामले में भी तकनीक आधारित बदलाव होता चला गया।
स्वास्थ्य क्षेत्र में नित नए साफ्टवेयर विकसित होने और उच्च तकनीकों के इस्तेमाल से वर्तमान में न केवल रोगियों का पंजीकरण करने में आसानी हुई बल्कि अब लोग घर बैठे भी पंजीकरण और अपांइटमेंट सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। वर्तमान में राज्य के इस सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान में उत्तराखण्ड के अलावा हिमाचल, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, बिहार और नेपाल तक के रोगियों को भी इलाज उपलब्ध हो रहा है।
आंकड़े गवाह हैं कि वर्ष 2013 के बाद से अब तक 12 वर्षों के दौरान 30 अप्रैल 2025 तक 55 लाख 86 हजार 639 लोग एम्स की ओपीडी द्वारा स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं। इस महीने 15 मई तक ओपीडी की यह संख्या 56 लाख से अधिक हो चुकी थी। मौजूदा समय में संस्थान में 36 से अधिक विभागों की ओपीडी संचालित हो रही हैं। इनमें जनरल ओपीडी के अलावा विभिन्न विभागों की सुपर स्पेशिलिटी ओपीडी सेवाएं भी शामिल हैं।
वर्ष 2013 के दौर से ही संस्थान में चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहे सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष प्रो0 अंशुमान दरबारी बताते हैं कि शुरूआत में पिडियाट्रिक, गायनी, आर्थो, जनरल मेडिसिन, ईएनटी, पल्मोनरी, जनरल सर्जरी, नेत्र रोग और मनोचिकित्सा विभाग आदि जनरल ओपीडी के अलावा सीटीवीएस कार्डियक सर्जरी, पिडियाट्रिक सर्जरी और न्यूरो सर्जरी जैसी कुछ चुनिन्दा सुपर स्पेशिलिटी ओपीडी सेवाएं ही संचालित होती थीं। उन्होंने बताया कि पंजीकरण का सभी कार्य मैनुअली था लेकिन वर्ष 2017 में ई-हाॅस्पिटल साफ्टवेयर आने के बाद तकनीक आधारित पंजीकरण, स्वास्थ्य जांचें और इलाज की बेहतर सुविधाएं विकसित होती चली गयी। नतीजा यह है कि आज हम दैनिक तौर पर हजारों लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम हैं।
’’ओपीडी सेवाओं के माध्यम से हम राज्य में सबसे अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। शुरूआती पहले वर्ष 2013 में एम्स में 37 हजार 886 रोगी पंजीकृत हुए थे। साल दर साल यह संख्या बढ़ती गयी। वर्ष 2019 में यंहा 8 लाख 65 हजार 333 लोगों ने स्वास्थ्य लाभ उठाया। हांलाकि उसके बाद अगले 2 वर्ष कोविड संक्रमण होने की वजह से ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं और रोगियों के आंकड़े भी कम पंजीकृत हुए। वर्ष 2022 से ओपीडी सेवाओं ने फिर जोर पकड़ा और रोगियों की संख्या बढ़ने लगी। पिछले वर्ष 2024 में यहां 7 लाख 42 हजार 963 लोगों ने ओपीडी सेवाओं का लाभ उठाया। वर्ष 2013 से अब तक 12 वर्षों के दौरान एम्स में कुल 56 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य लाभ उठा चुके हैं। ’’
प्रो. बी. सत्याश्री, चिकित्सा अधीक्षक, एम्स ऋषिकेश।
’’संस्थान की ओपीडी सेवाएं रोगी केन्द्रित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के संस्थान के मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे उच्च प्रशिक्षित और विभिन्न विशेषज्ञताओं के अनुभवी डाॅक्टर दैनिक तौर पर हजारों रोगियों को स्वास्थ्य परामर्श और इलाज प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ डाॅक्टरों की देखरेख में हम चौबीसों घण्टे ट्राॅमा इमरजेन्सी और मेडिसिन इमरजेन्सी की सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। संस्थान द्वारा संचालित टेलीमेडिसिन ओपीडी सेवाओं के माध्यम से भी लोग स्वास्थ्य परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। हमारा उद्देश्य रोगियों को व्यापक और रोगी केन्द्रित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।’’
—–प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।

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