एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एनएसआरटीसी 2025 का समापन शानदार रहा - Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा
Connect with us

एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एनएसआरटीसी 2025 का समापन शानदार रहा

उत्तराखंड

एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एनएसआरटीसी 2025 का समापन शानदार रहा

देहरादून – 26 जुलाई, 2025: एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी उनकी ओर से आयोजित दूसरा राष्ट्रीय वैज्ञानिक गोलमेज सम्मेलन (एनएसआरटीसी 2025) सचमुच बहुत शानदार रहा। इस सम्मेलन में भारत के 70 से ज़्यादा जाने-माने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विचारकों ने भाग लिया, जिनमें 36 शांति स्वरूप भटनागर और पद्म पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक भी शामिल थे। तीन दिनों के इस सम्मेलन ने अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के बीच आपसी सहयोग, विचारों के आदान-प्रदान और नीतियाँ बनाने के बारे में बातचीत के लिए एक बेहतरीन माहौल तैयार किया।

इस साल का सम्मेलन बड़े पैमाने पर बदलाव लाने वाले चार अहम विषयों: यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस्ड मैटेरियल्स एवं प्रोसेसिंग, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एवं सस्टेनेबिलिटी, तथा हेल्थकेयर, फार्मा व बायोटेक्नोलॉजी पर केंद्रित था। इनमें से हर विषय भारत के विकास से संबंधित अरमानों के साथ गहराई से जुड़ा हुआ था। इसके अलावा, “नोबेल पुरस्कार से प्रेरित रिसर्च का आधार” और विज्ञान एवं आध्यात्म के मेल जैसे विषयों पर आयोजित सत्रों के कारण ये चर्चाएँ और भी अधिक ज्ञानवर्धक हो गईं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित सत्र में क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम साइंस, एस्ट्रोनॉमी और शिक्षा के साथ एआई के मेल पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने एआई की मदद से बड़ा बदलाव लाने वाले वैज्ञानिक सिद्धांतों को तैयार करने की संभावना पर चर्चा की, साथ ही उन्होंने 6G नेटवर्क और अलग-अलग भाषाओं में एआई के उपयोग के भविष्य की भी पड़ताल की।

एडवांस्ड मैटेरियल्स एवं प्रोसेसिंग के सत्रों में नैनोटेक्नोलॉजी, सौर ऊर्जा, 2D मैटेरियल्स और मेटल सर्कुलरिटी का उपयोग करके आत्मनिर्भर बनने पर ज़ोर दिया गया। इसके अलावा, CO₂ को कम करने के लिए “ब्लैक गोल्ड” नैनोमैटेरियल्स पर किए गए शानदार रिसर्च के साथ-साथ लिथियम-आयन बैटरी से आगे बढ़ने के बारे में भी चर्चा की गई, जिसने एनर्जी सस्टेनेबिलिटी की दिशा में भारत की कोशिशों को उजागर किया।

हेल्थकेयर, फार्मा एवं बायोटेक्नोलॉजी के विषय पर चर्चा के दौरान, दुनिया भर के विशेषज्ञों ने एआई की मदद से दवाओं की खोज, वन हेल्थ मॉडल के ज़रिए महामारी से निपटने की तैयारी, तथा लाइफस्टाइल में सुधार करके टाइप-2 डायबिटीज को ठीक करने के तरीकों पर बात की। सत्र के दौरान ब्रेन ड्रेन, बायोमैटेरियल्स, रीजेनरेटिव मेडिसिन और कैंसर, HIV एवं ट्यूबरक्लोसिस जैसी बीमारियों के डायग्नोस्टिक जैसे विषयों पर भी बात हुई।

यह भी पढ़ें 👉  सैनिकों और उनके परिवारों की हितैषी राज्य सरकार, विगत वर्षों में लिए कई अहम फैसले

डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एवं सस्टेनेबिलिटी के सत्रों में ग्रीन केमिस्ट्री, केमिकल मैन्युफैक्चरिंग में इनोवेशन और भारत में न्यूक्लियर एनर्जी की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई। इस दौरान, मिट्टी का खारापन बर्दाश्त करने वाले चावल की मदद से खेती को बेहतर बनाने के साथ-साथ बिजली की खपत व मानव विकास सूचकांक (HDI) के बीच आपसी संबंध पर भी बात हुई।

इस सम्मेलन में वैज्ञानिक शोध में नैतिकता और दार्शनिक आधार की अहमियत पर भी ज़ोर दिया गया। MIT ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के संस्थापक, डॉ. विश्वनाथ डी. कराड और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के पूर्व-सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने चर्चा के दौरान विज्ञान और आध्यात्म के बीच के तालमेल पर बल दिया, साथ ही उन्होंने छात्रों से समाज को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान का उपयोग करने की बात भी कही।

कई सम्मानित अतिथियों की मौजूदगी में एक शानदार समापन समारोह के साथ इस आयोजन का अंत हुआ, जिनमें प्रोफेसर जी.डी. यादव, एमेरिट्स प्रोफेसर एवं पूर्व वाइस-चांसलर, ICT, मुंबई; डॉ. शेखर मांडे, पूर्व महानिदेशक, CSIR, नई दिल्ली; प्रोफेसर सागर मित्रा, IIT बॉम्बे; प्रोफेसर अशोक जोशी, संस्थापक निदेशक, माइक्रोलिन इंक, यूएसए, तथा सम्मेलन के संयोजक डॉ. भरत काले, डॉ. अनूप काले और प्रोफेसर सिद्धार्थ चक्रवर्ती शामिल थे।

यह भी पढ़ें 👉  यूसीसी में प्रतिदिन औसत 1634 विवाह पंजीकरण, समान नागरिक संहिता के तहत विवाह पंजीकरण ने पकड़ा जोर

सम्मेलन के दौरान MIT-WPU के एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट, डॉ. राहुल वी. कराड ने कहा कि किसी भी देश के विकास के लिए रिसर्च बहुत ज़रूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि, NSRTC के ज़रिये युवाओं को मौलिक रूप से सोचने और विज्ञान एवं इनोवेशन में अपने करियर को शानदार बनाने के लिए प्रेरित करना ही यूनिवर्सिटी का उद्देश्य है। उन्होंने यह भी बताया कि, 600 से ज़्यादा छात्रों और देश भर के 100 से ज़्यादा जाने-माने वैज्ञानिकों के बीच के जुड़ाव को देखकर हमारा उत्साह काफी बढ़ गया है।

यह आयोजन भविष्य के लिए तैयार वैज्ञानिकों की एक ऐसी कम्युनिटी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम था, जो इनोवेशन और ज्ञान के क्षेत्र में भारत को विश्वगुरु बनने में मदद कर सके। प्रतिभागियों द्वारा आपस में विचारों के आदान-प्रदान, उनके बीच शुरू हुए सहयोग और उनके उत्साह ने जो आधार तैयार किया है, उसका असर लंबे समय तक बरकरार रहेगा।

Latest News -
Continue Reading
Advertisement

More in उत्तराखंड

Advertisement

उत्तराखंड

उत्तराखंड

देश

देश

YouTube Channel Pahadi Khabarnama

Our YouTube Channel

ADVERTISEMENT

Advertisement
Advertisement

Popular Post

Recent Posts

To Top
0 Shares
Share via
Copy link