NASA को टक्कर! उत्तराखंड में यहां लगा दुनिया का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप, ऐसे करेगा काम... - Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा
Connect with us

NASA को टक्कर! उत्तराखंड में यहां लगा दुनिया का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप, ऐसे करेगा काम…

उत्तराखंड

NASA को टक्कर! उत्तराखंड में यहां लगा दुनिया का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप, ऐसे करेगा काम…

नैनीतालः उत्तराखंड दिन प्रतिदिन दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहा है। उत्तराखंड को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। नैनीताल में दुनिया का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप लगाया गया है। उत्तराखंड में स्थापित होने के बाद यह दुनिया का पहला तरल-दर्पण दूरबीन बन गया है। आइये जानते हैं, कि ये टेलीस्कोप क्या है, यह पारंपरिक टेलीस्कोप से कैसे अलग है और इसके उपयोग से भारत को क्या सब जानकारियां हासिल होंगी?

टेलीस्कोप से होंगे ये काम

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार ये लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के देवस्थल वेधशाला परिसर में समुद्र तल से 2,450 मीटर की ऊंचाई पर रखा गया है। इस टेलिस्कोप को नासा को टक्कर देने वाला कहा जा रहा है। इस टेलीस्कोप के जरिए क्षुद्रग्रहों, सुपरनोवा, अंतरिक्ष मलबे और अन्य सभी खगोलीय पिंडों पर नजर रखी जाएगी। लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप के जरिए आसमान का लगातार सर्वेक्षण किया जाएगा और ये आकाशगंगा के साथ साथ अन्य खगोलीय घटनाओं का भी निरीक्षण करेगा।

भारत में संचालित सबसे बड़ी दूरबीन

ये लिक्विड टेलीस्कोप, 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीओटी) के साथ काम करेगा, जो भारत में संचालित सबसे बड़ी दूरबीन (4 मीटर वर्ग की) है, जिसका 2010 में उद्घाटन किया गया था और ये 1.3 मीटर देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीएफओटी) भी इसी स्थान पर काम कर रहा है। लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप को भारतीय वैज्ञानिको ने कनाडा और बेल्जियम के खगोलविदों की मदद से तैयार किया है और ये टेलीस्कोप लिक्विड पारे की एक पतली फिल्म से बना 4 मीटर के व्यास का रोटेटिंग मिरर जैसा है। ये टेलीस्कोप लाइक को इकट्ठा करने और उसपर फोकस करने का काम करता है।

लिक्विड टेलीस्कोप की खासियत

एक तरल दर्पण दूरबीन एक विशेष प्रकार का परावर्तक दूरबीन है जो एल्युमिनाइज्ड ग्लास के बजाय प्राथमिक दर्पण के रूप में एक तरल का उपयोग करता है। तरल आमतौर पर पारा होता है, और इसे घूर्णन डिश में डाला जाता है। रोटेशन के परिणामस्वरूप, दो मूलभूत बल- गुरुत्वाकर्षण और जड़ता, पारा पर कार्य करते हैं। जड़ता किसी वस्तु का उसकी विराम अवस्था या गति की अवस्था के प्रति प्रतिरोध है। गुरुत्वाकर्षण तरल की सतह पर नीचे की ओर खींचता है, जबकि जड़ता तरल को डिश के किनारे पर खींचती है।

दुनिया में सबसे पहले भारत ने किए ये दो काम

बताया जा रहा है कि इस टेलीस्कोप के साथ भारत ने पहली बार दो काम पूरी दुनिया में सबसे पहले किए हैं। पहला काम ये, कि यह एकमात्र ऐसा टेलीस्कोप है, जिसे खगोल विज्ञान अनुसंधान के लिए विकसित किया गया है और इस टेलीस्कोप की सबसे बड़ी खासियत ये है, कि उसे दुनिया के किसी भी हिस्से में एक्टिव किया जा सकता है और अभी तक पूरी दुनिया में एक भी ऐसा टेलीस्कोप नहीं बना है, जिसे धरती के किसी भी हिस्से से एक्टिव कर दिया जाए। लिहाजा, भारतीय वैज्ञानिकों के लिए ये एक गर्व करने वाली बात है।

Latest News -
Continue Reading
Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

Advertisement

उत्तराखंड

उत्तराखंड

देश

देश

YouTube Channel Pahadi Khabarnama

Our YouTube Channel

Advertisement

Popular Post

Recent Posts

To Top
4 Shares
Share via
Copy link