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Monkeypox: भारत में खतरनाक वायरस की दस्तक, इस राज्य में मिला पहला केस, नहीं है कोई इलाज…
Monkeypox: भारत में जारी कोरोना संकट (Coronavirus) के बीच केरल से ‘मंकीपॉक्स’ (Monkeypox Virus) का एक संदिग्ध मामला सामने आया है। केरल के तिरुवनंतपुरम में विदेश से लौटे एक शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं। उसके सैम्पल को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जांच के लिए भेजा गया है। वहीं मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद केंद्र की तरफ से 4 डॉक्टरों की टीम केरल भेजी जा रही है। इस खतरनाक बीमारी का इलाज न होने से परेशानी बढ़ रही है। भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार सतर्क हो गई है।
बताया जा रहा है कि केरल के कोल्लम में संक्रमण का पहला मामला सामने आया है. पहला केस दर्ज होने के बाद केंद्र की तरफ से 4 सदस्यी डॉक्टरों की टीम भेजी जा रही है। जिन 4 डॉक्टरों की टीम भेजी जा रही है। इनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार डॉक्टर पी रविंद्रन, दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के संकेत कुलकर्णी, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार और डॉक्टर अखिलेश हैं। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की निगरानी की जाएगी। संक्रमित को 21 दिनों के दौरान आइसोलेशन में रखा जाएगा। मामलों संक्रमण के स्रोतों की जल्द पहचान करने के लिए एक निगरानी रणनीति का प्रस्ताव दिया गया है।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
(Monkeypox Symptoms) जिन लोगों को मंकीपॉक्स हुआ है उन लोगों में अब तक फ्लू के लक्षण, चेचक की समस्या होने पर दिखने वाले लक्षण, निमोनिया के लक्षण आदि दिखाई दे रहे हैं, इसके अलावा पूरे शरीर पर लाल रंग के दाने, रैशेज आदि भी दिखाई दे रहे हैं।
- सिर दर्द की समस्या हो जाना
- शरीर पर गहरे लाल रंग के दाने नजर आना
- व्यक्ति को फ्लू के लक्षण नजर
- निमोनिया के लक्षण नजर आना
- तेज बुखार होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- व्यक्ति को तेज ठंड लगना
- व्यक्ति को अत्यधिक थकान महसूस करना
- व्यक्ति के लिए लिम्फ नोड्स में सूजन हो जाना
कितनी खतरनाक है ये बीमारी?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 2 से 4 हफ्ते बाद लक्षण धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं। छोटे बच्चों में गंभीर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, कई बार ये मरीज के स्वास्थ्य और उसकी जटिलताओं पर भी निर्भर करता है।जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है। ऐसे लोगों में एसिम्टोमैटिक संक्रमण भी हो सकता है। चेचक के खत्म होने के बाद इस बीमारी का वैक्सीनेशन भी बंद हो गया है। इसलिए 40 से 50 साल कम उम्र के लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है।
मंकीपॉक्स फैलता कैसे है?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं। अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बेहद कम सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।
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