उत्तराखंड
उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने की अनूठी पहल, गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता मिलेगी, पहले होगा सर्वेक्षण…
उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी सैयद गुफरान ने बताया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 39(क) समान न्याय एवं मुफ्त कानूनी सहायता के प्रावधानों से सम्बन्धित हैं, जिसके तहत् समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदत्त कराना है तथा यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय पाने से वंचित न किया जाय।
इसी संकल्प को पूरा करने के उदेश्य से माननीय न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, वरिष्ठ न्यायमूर्ति, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुपालन में सम्पूर्ण उत्तराखण्ड राज्य में उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के संयुक्त तत्वाधान में प्रत्येक जनपद में एक अनूठी पहल की शुरूआत करने जा रहा है।
जिसके तहत् सम्पूर्ण प्रदेश में कचरा/कूड़ा बीनने वाले व्यक्तियों, जोकि समाज के सबसे शोषित एवं कमजोर वर्ग से आते है तथा शासकीय कल्याणकारी योजनाओं एवं अपने मौलिक तथा कानूनी अधिकारों से अज्ञान रहते है, को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर लाभान्वित करना है।
इसी क्रम में उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा प्रत्येक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देशित किया गया है कि वह अपने जनपद में कचरा/कूड़ा बीनने वाले व्यक्तियों का सर्वेक्षण कराकर, विस्तृत आख्या एक माह के भीतर उपलब्ध कराये, ताकि तदानुसार अग्रेत्तर कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। सर्वेक्षण हेतु निम्नलिखित मापदण्ड निर्धारित किये गये हैः-
ऐसे वर्ग की कुल जनसंख्या, साक्षरता दर, मूल निवास स्थान, स्वास्थ्य एवं आवास की स्थिति तथा जल एवं बिजली संयोजन, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, जाति प्रमाण-पत्र की उपलब्धता, शहरी स्थानीय निकायों अथवा अन्य निकायों या संस्थानों में पंजीकरण, शासकीय कल्याणकारी योजनओं से लाभान्वित की सूचना, इत्यादि।
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