उत्तराखंड
Uttarakhand News: प्रदेश का नाम रोशन करने वाली गोल्डन गर्ल मानसी नेगी का छलका दर्द, कही ये बात…
Uttarakhand News: उत्तराखंड की बेटी मानसी नेगी एक के बाद एक प्रदेश के लिए पदक जीत रही है। हाल ही में तमिलनाडु में आयोजित 82वें आल इंडिया अंतर विश्वविद्यालय एथेलिटिक मीट 2023 में 20 किमी रेस वॉक में स्वर्ण पदक जीता है। मानसी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश के लिए कई गोल्ड मेडल ला चुकी है। लेकिन अब इस बेटी का दर्द छलक पड़ा है। सरकार की नीतियों से मायूस मानसी सवाल कर रही है कि उन्होंने हर कदम पर तो खुद को साबित किया है लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला है।
बता दें कि मानसी नेगी चमोली जिले की बेहद साधारण घर से है। उसके पिता नहीं है और मां गांव में रहती है। भाई गौरव भी अभी कोई काम नहीं करता। जबकि हर दो महीने में मानसी के शूज (स्पाइक) टूट जाते हैं। यह शूज 15 से 20 हजार रुपये के आते हैं। इसके अलावा डाइट और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अन्य खर्चे भी होते हैं।, लेकिन सरकार ने क्या किया? सीएम ने दो लाख दिये और अपना प्रचार कर दिया।
गोल्ड मेडल जीतने की खुशी जाहिर करते हुए मानसी ने जीत के बाद फेसबुक पर लिखा कि मुझे बधाई देने और सपोर्ट करने वालों का धन्यवाद। लेकिन मुझे उत्तराखंड में नौकरी चाहिए। मैंने हर समय खुद को साबित किया है, लेकिन उत्तराखंड में खिलाड़ियों के लिए कोई कोटा है नहीं है और ना ही कोई नौकरी के अवसर। मैं निवेदन करती हूं कि नौकरियों में खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स कोटा से प्राथमिकता दी जाए। इससे कई युवा एथलीट बेहतर करने और मेडल जीतने के लिए प्रोत्साहित होंगे। उत्तराखंड को बचाओ। युवा एथलीट के भविष्य को बचाओ।
बताया जा रहा है कि मानसी की मदद के लिए आज तक सरकार आगे नहीं आई है। पंजाब की लवली यूनिवर्सिटी ने उनकी शिक्षा का जिम्मा उठाया। लवली यूनिवर्सिटी उन्हें फ्री शिक्षा देती है। बदले में वह पंजाब की यूनिवर्सिटी के लिए एथलेटिक्स में प्रतिभाग करती हैं। तो वहीं सीआईएमएस के चेयरमैन ललित जोशी आए और पीजा इटालिया की शिल्पा भट्ट बहुगुणा ने उसको अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया। शिल्पा ने उसके शूज को स्पांसर्ड किया है। पहाड़ की एक बेटी ने दूसरी बेटी का दर्द समझा और उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए पर सरकार की ओर से इस बेटी को कुछ नहीं मिल सका है।
मानसी को सरकारी नौकरी की जरूरत है। लेकिन प्रदेश में स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती वर्षों से रुकी हैं। सीएम धामी और खेल मंत्री रेखा आर्य भले ही लाख दावे करें कि नई खेल नीति बना दी है। खिलाड़ियों का भत्ता बढ़ा दिया। अवसर बढ़ा दिये। लेकिन हकीकत यही है कि सरकार ने खिलाड़ियों को सही मंच और उनके जीवन यापन के लिए ठोस कदम नहीं उठाए है। ऐसे में जब खिलाड़ियों को नौकरी नहीं दे रहे है तो वह पलायन करेंगे ही।
बताया जा रहा है कि मानसी ने तीन बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की है। लेकिन अभी तक उनकी नौकरी को लेकर कोई ठोस जवाब सरकार की तरफ से उन्हें नहीं मिला है। प्रदेश से निराश वह भी अब कई जगह नौकरी के प्रयास कर रही है। उम्मीद है कि जल्द उसे नौकरी मिल जाएगी।
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