उत्तराखंड
उत्तराखंड की लोक-संस्कृति से जुड़ा पर्व इगास-बग्वाल, जानें कब मनाई जाएगी पहाड़ी दिवाली…
देहरादून। उत्तराखंड में इगास-बग्वाल मनाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। सबसे पहले हम बात करते हैं बग्वाल की। गढ़वाल में दीपावली को बग्वाल के रूप में मनाया जाता है। जबकि दीपावली (बग्वाल) के ठीक 11 दिन बाद गढ़वाल में एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहा जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में बग्वाल के ठीक 11 दिन बाद आने वाली एकादशी को इगास मनाने की परंपरा है।
उत्तराखंड की लोक-संस्कृति से जुड़े इस पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान बनाये जाते हैं जबकि रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है। दीपावली के 11 दिन बाद इगास पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इस साल सीएम धामी ने इगास पर्व पर अवकाश का ऐलान भी कर दिया है।
एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान राम 14 वर्ष बाद लंका विजय कर अयोध्या पहुंचे तो लोगों ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया और उसे दीपावली के त्योहार के रूप में मनाया। लेकिन कहा जाता है कि गढ़वाल क्षेत्र में लोगों को इसकी जानकारी 11 दिन बाद मिली। इसलिए यहां पर दीपावली के 11 दिन बाद यह दीवाली (इगास) मनाई जाती है।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 पहाड़ी खबरनामा के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 पहाड़ी खबरनामा के फेसबुक पेज़ को लाइक करें
Latest News -
घोलतीर हासदा: श्रीनगर डैम से एक और शव बरामद, मृतकों की संख्या बढ़कर हुई सात, पांच अभी भी लापता
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड राज्य के मध्य अवशेष आस्तियों एवं दायित्वों के मामलों की समीक्षा
मनसा देवी रोपवे सेवा 2 से 5 जुलाई तक और चंडी देवी रोपवे 7 से 10 जुलाई तक बंद रहेगी
त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2025 के अंतर्गत नामांकन प्रक्रिया शांतिपूर्ण रूप से गतिमान
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में सचिव समिति की बैठक आयोजित हुयी
