उत्तराखंड
अजब: धारा 66ए समाप्त होने के बाद भी मुकदमें हो रहे दर्ज, भयानक…
नई दिल्ली: देश में भले ही शासन-प्रशासन कानून व्यवस्था को मजबूत करने की बात कहता हो , लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की 2015 में रद्द हो चुकी धारा पर आज भी मुकदमें दर्ज कर कार्रवाई हो रही है। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने सात साल पहले जिस धारा को रद्द कर दिया था उस पर आज भी मुकदमें दर्ज है। मामला सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र शासित प्रदेशों और सभी राज्य की हाईकोर्ट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा कि धारा रद्द होने के बावजूद भी इस धारा पर कार्रवाई क्यों और कैसे की जा रही है।
बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 ए रद्द करने के बावजूद दर्ज हो रहे मामलोें पर न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, यह चौंकाने वाला है।हम नोटिस जारी करेंगे। वहीं न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, अद्भुत! जो हो रहा है, वह भयानक है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। यह नोटिस उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को भी जारी किया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने निष्क्रिय कानून (धारा 66 ए ) का उपयोग जारी रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी। जज आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि चूंकि पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए यह बेहतर होगा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों को पक्षकार बनाया जाए तथा “हम एक समग्र आदेश जारी कर सकते हैं जिससे यह मामला हमेशा के लिये सुलझ जाए।”
आपको बता दें कि कानून की इस धारा के तहत अपमानजक संदेश पोस्ट करने पर तीन साल तक की कैद और जुर्माना का प्रावधान था। कोर्ट ने जिसे 24 मार्च 2015 को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को “प्रमुख” करार दिया था और यह कहते हुए इस प्रावधान को रद्द कर दिया था कि जनता के जानने का अधिकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए से सीधे तौर पर प्रभावित होता है।इसके बाद भी पुलिस द्वारा इस धारा में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। मामले का खुलासा एक एनजीओं की याचिका से हुआ है। जिसमें बताया गया है कि धारा 66 ए के निरस्त होने के सात साल बाद भी मार्च 2021 तक 11 राज्यों की जिला अदालतों में कुल 745 मामले अभी भी लंबित हैं। इन मामलों के आरोपियों पर आईटी अधिनियम की धारा 66 ए के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जारी किया है।
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