उत्तराखंड
ऋषिकेश एम्स में छात्रों ने मौन विरोध प्रदर्शन किया, जानिए क्या है पूरा मामला…
उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान के 40 से अधिक छात्रों ने उनके आंदोलन की कवरेज के लिए आए मीडिया कर्मियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के खिलाफ शनिवार को मौन विरोध-प्रदर्शन किया। यह आंदोलन सातवें दिन भी जारी रहा। आंदोलनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और धक्का-मुक्की की गई। उन्होंने कहा कि यह मौन प्रदर्शन मीडिया के साथ दुर्व्यवहार और छात्रों की आवाज दबाने के प्रयास के खिलाफ है।
संस्थान परिसर में 47 छात्र अपनी मांगें पूरी न होने के विरोध में पिछले छह दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इन मांगों में इंटर्नशिप के दौरान सभी छह पाठ्यक्रमों के छात्रों को 13,940 रुपये मासिक छात्रवृत्ति देने और डिग्री पंजीकरण की सुविधा देने की मांग शामिल है। एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा कि हमारी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हमारी बात नहीं सुनी जा रही है, बल्कि हमें नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है।
एम्स के उपनिदेशक अमित पाराशर ने मामले की जांच के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है। छात्रों ने कहा कि डिग्री का पंजीकरण होना चाहिए, ताकि इसकी वैधता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि अन्य कॉलेज की तरह इंटर्नशिप को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए, ताकि सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा जैसे अवसरों का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि वजीफा के भुगतान में एकरूपता नहीं है।
दो पाठ्यक्रमों में लगभग 10,000 रुपये और एक पाठ्यक्रम में 14,000 रुपये वजीफा दिया जा रहा है। एम्स ऋषिकेश के कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी संदीप ने संस्थान का पक्ष रखते हुए कहा कि संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान के सभी छह पाठ्यक्रमों में से केवल तीन पाठ्यक्रमों के लिए ही पाठ्यक्रम की विवरणिका में वजीफे का प्रावधान दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर एम्स की स्थायी वित्त समिति शेष तीन पाठ्यक्रमों के लिए वजीफे की सिफारिश मंत्रालय को भेजती है और मंत्रालय उसे मंजूरी दे देता है तो यह सभी छह पाठ्यक्रमों में दिया जा सकता है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 पहाड़ी खबरनामा के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 पहाड़ी खबरनामा के फेसबुक पेज़ को लाइक करें