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स्वास्थ्य मंत्रालय: होम आइसोलेशन को लेकर नई गाइडलाइन हुई जारी, जानें पूरी जानकारी..

हरिद्वार

स्वास्थ्य मंत्रालय: होम आइसोलेशन को लेकर नई गाइडलाइन हुई जारी, जानें पूरी जानकारी..

देहरादून: देश में कोरोना वायरस तेजी से बढ़ रहा है और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगी है। ऐसे में तमाम हेल्थ एक्सपर्ट यही कर रहे हैं कि जबतक हालत में सुधार ना हो घर पर ही रहें और सुरक्षित रहें। केंद्र सरकार ने कोविड-19 के मामूली लक्षण वाले रोगियों के होम आइसोलेशन के लिए नई गाइडलाइंस जारी की गई हैं। इन गाइडलाइंस में दो खास बातों पर फोकस किया गया है। जिनमें पहला है कि कोरोना के हल्के या बिना लक्षण वाले मरीज घर पर रहते हुए कैसे अपना इलाज कर सकते हैं। दूसरी मुख्य बात बच्चों के संबंध में बताई गई है। सरकार ने बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को लेकर विशेष ध्यान दिया है। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज बिना किसी डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का प्रयोग न करें। सोशल मीडिया पर इलाज के तौर तरीकों पर विश्वास न करें। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस संशोधित गाइडलाइन में कोरोना के मरीजों को लेकर और क्या जानकारी दी गई हैं:-

1- होम आइसोलेशन के योग्य मरीज
१- डॉक्टर बताएंगे कि आपको हल्का लक्षण है या लक्षण रहित संक्रमण है।
२- संक्रमित व्यक्ति का पूरा परिवार नियमानुसार 14 दिन क्वारंटीन रहेगा।
३- रोगी की देखरेख के लिए एक व्यक्ति दिनभर रहे, डॉक्टर से लागातार संपर्क में रहें।
४- 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज जिन्हें बीपी, मधुमेह, हृदय, किडनी समेत अन्य बीमारियां हैं वो डॉक्टरी सलाह के बाद ही होम आइसोलेशन में रहेंगे।
५- संक्रमित के संपर्क में रहने वाला हर व्यक्ति डॉक्टरी सलाह के बाद एचसीक्यू दवा खाएगा।

2- होम आइसोलेशन में इलाज
१- संक्रमित व्यक्ति हमेशा अपने डॉक्टर के संपर्क में रहे। तकलीफ होने पर डॉक्टर से बात करें।
२- संक्रमण के साथ कोई दूसरी बीमारी है तो डॉक्टरी सलाह के बाद उसकी भी दवा जारी रखें, अपने मन से दवा न बंद करें।
३- संक्रमित को बुखार, खांसी, नाक बहना और अन्य तकलीफें हैं तो लक्षणों को नियंत्रित करने की दवा नियमित लेते रहें।
४- मरीज दिन में कम से कम दो बार गरारा करें और भाप लें, इससे श्वांस नलिका साफ रहेगी।

3- दवा से नहीं उतर रहा बुखार तो 
१- बुखार पैरासीटामॉल 650एमजी से दिन में चार बार लेने के बाद भी नियंत्रित नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से बात करें।
२- डॉक्टरी सलाह पर स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें।
३- कोरोना प्रोटोकॉल के तहत आइवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल जरूर करें।
४- बुखार और खांसी लगातार 5 दिन बाद भी है तो इन्हेलेशन से दी जाने वाली दवाएं लें।

4- घर में रेमडेसिविर लेने की मनाही
नई गाइडलाइन में सरकार ने एक बार फिर कहा है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले लोग रेमडेसिविर का इस्तेमाल न करें। ये डॉक्टर की निगरानी में ही लगेगी। मुंह से खाने वाला स्टेरॉयड हल्के लक्षण में नहीं लेनी है। बुखार और खांसी जैसे संक्त्रस्मण के सात दिन बाद भी है तो डॉक्टर से विमर्श के बाद ही स्टेरॉयड की हल्की डोज ले सकते हैं।

4- दस दिन बाद आइसोलेशन से मुक्ति
नई गाइडलाइन के अनुसार पहली बार लक्षण आने के दस दिन बाद मरीज स्वस्थ महसूस कर रहा है तो होम आइसोलेशन खत्म कर सकता है। बिना लक्षण वाले रोगी सैंपल देने के दस दिन बाद आइसोलेशन खत्म कर सकते हैं, ध्यान रहे, इससे तीन दिन पहले बुखार नहीं आना चाहिए। आइसोलेशन पूरा होने पर जांच की जरूरत नहीं है।

5- बच्चों के लिए कोरोना के प्रोटोकॉल
नई गाइडलाइन में कहा गया है कि एसिम्टोमैटिक बच्चों को किसी भी तरह के इलाज की जरूरत नहीं है। हालांकि इन पर ध्यान देने की जरूरत है कि आगे चलकर इनमें लक्षण आते हैं कि नहीं, बच्चों का इलाज लक्षण के हिसाब से किया जाना चाहिए। जिन बच्चों में गले में खराश, बहती नाक, खांसी और पेट से जुड़े मध्यम लक्षण हैं, इनका इलाज घर पर ही किया जा सकता है। बच्चों को बुखार के लिए पैरासिटामोल 10-15एमजी हर 4-6 घंटे पर देने की सलाह दी गई है। खांसी के लिए गर्म पानी से गरारा कर सकते हैं, हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ दें। हल्के लक्षण में बच्चों को एंटीबायोटिक्स दवाएं नहीं देने की सलाह दी गई है, कोरोना के मध्यम लक्षण वाले बच्चों में निमोनिया की भी शिकायत हो सकती है। हालांकि इसके लिए बार-बार इसका लैब टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए बच्चों को एमोक्सीसिलिन भी दी जा सकती है। 94% से कम ऑक्सीजन होने पर ऑक्सीजन सप्लीमेंटेशन देने की सलाह दी गई है।

6- गंभीर लक्षण वाले बच्चों के लिए प्रोटोकॉल
जिन बच्चों का ऑक्सीजन लेवल 90% से कम होता है उनमें कोविड-19 के गंभीर लक्षण होते हैं। इन बच्चों में गंभीर निमोनिया, रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम और सेप्टिक शॉक जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। प्रोटोकॉल में बताया गया है कि इन बच्चों में थ्रोम्बोसिस, हेमोफैगोसिटिक लिम्फोहिस्टोसाइटोसिस और ऑर्गन फेल्योर की जांच करानी चाहिए। गाइडलाइन में इन बच्चों का कंप्लीट ब्लड काउंट, लिवर, रीनल फंक्शन टेस्ट और चेस्ट एक्स रे कराने की सलाह दी गई है।

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