उत्तरकाशी
रौब: प्रदेश में अफसरों का रौब का दबदबा बरकरार, डॉक्टर पर रौब दिखाया तो आहत चिकित्सक ने दिया इस्तीफ़ा…
उत्तरकाशी। पहाड़ पर पहाड़ जैसी स्वास्थ्य समस्याओ को देखते हुए कुछ खबरे विचलित कर देती है। कई सवाल खड़े हो जाते हैं कि आखिर क्या ऐसे होगा समस्याओं का हल। जब सत्ता आसीन सरकार के अफसर ही आमजन की अनदेखी कर न सिर्फ रौब दिखा रहे है बल्कि गुंडागर्दी करने लगे है। ऐसी ही खबर उत्तरकाशी से सामने आ रही हैं। यहां एक अफसर ने अपनी ड्यूटी निभा रहे डॉक्टर के साथ ना सिर्फ अभद्रता की बल्कि उन्हें जान से मारने की धमकी तक दे दी। जिसके बाद डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया है। आपको बता दे की उत्तरकाशी में जिला चिकित्सालय में तैनात फिजिशियन डा. सुवेग सिंह एक गम्भीर मरीज को देख रहे थे। इस दौरान उनके पास मरीजो की लंबी लाइन भी लगी हुई थी तभी वहां जिला ग्राम्य विकास अभिकरण उत्तरकाशी के परियोजना निदेशक संजय कुमार पहुंच जाते हैं। और डाक्टर के पास अपने आने की सूचना भेजते हैं लेकिन मरीज को देख रहे डाक्टर ने उन्हें दस मिनट इंतजार करने की बात कही। तो बस क्या था निदेशक साहब का पारा चढ़ जाता है और वह डॉक्टर के साथ अभद्रता करने लगते हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पहले मुझे नही देखा तो जान से मार दूंगा। जिस घटना से आहत होकर डॉक्टर ने अपना इस्तीफा डीजी हेल्थ को भेज दिया है।
डा. सुबेग एक गंभीर मरीज को देख रहे थे। इसके बाद उन्होंने परियोजना निदेशक को बुला लिया। इस घटना से डाक्टर आहत हो गये कि उन्होंने अपना इस्तीफा डीजी हेल्थ को भेज दिया। वह केवल अब गम्भीर मरीजो का इलाज कर रहे हैं और ओपीडी का बहिस्कार कर दिया है। हालांकि डा. सूबेग ने अफसर के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है, लेकिन उनका कहना है कि निदेशक संजय कुमार को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। वरना ऐसे ही अपने पद का दुरुपयोग करेगे। गौरतलब है कि इससे पहले भी निदेशक संजय कुमार ने 20 मार्च को करीब जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ सुरेन्द्र सकलानी के साथ दुर्व्यवहार किया था ।
वहीं मामले में निदेशक संजय कुमार का कहना है कि वे गंभीर बीमारी से पीड़ित है और उनका लंबे समय से डॉ सूबेग सिंह से ही इलाज चल रहा है वे निश्चित तौर पर अच्छे डाक्टर है इसलिए ही वे उनसे अपना इलाज करवा रहे थे। इस दौरान सीएस की विडियो कोन्फ्रेंस और प्रभारी मंत्री के दौरे मे काम का प्रेशर और जल्दबाजी मे वे अपनी सेहत का ढंग से खयाल नहीं रख सके और अपनी अल्ट्रासाउंड और ब्लड रिपोर्ट डाक्टर को समय पर नहीं दिखा सके थे। उनके डाक्टर के साथ अच्छे संबंध थे और अक्सर वे व्हाट्सप पर भी डाक्टर से सलाह ले लिया करते थे। उस दिन तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी थी और प्रभारी मंत्री की बैठक की तैयारी का काम का प्रेशर भी था, लिहाजा मौके पर काम की अधिकता के चलते आवेश मे आकार वे कुछ कह गए जिसका उन्हे बाद मे एहसास हुआ।
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