टिहरी गढ़वाल
बड़ी खबर: एशिया के सबसे बड़े बांध पर भी गर्मी का असर, न्यूनतम स्तर पर पहुंचा टिहरी झील का जलस्तर…
टिहरी: एशिया के सबसे बड़े बांध यानी टिहरी बांध पर भी बारिश न होने और मौसम के बढ़ते तापमान का असर देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड में इस साल पड़ रही रिकॉर्ड तोड़ गर्मी से टिहरी बांध की झील का जलस्तर न्यूनतम आरएल 742 मीटर पहुंच गया है, जिसका प्रभाव विद्युत उत्पादन पर भी पड़ रहा है। पानी कम होने से टिहरी बांध से 4.50 मिलियन और कोटेश्वर बांध से 2.50 मिलियन यूनिट ही विद्युत उत्पादन हो रहा है। जो सामान्य दिनों से काफी कम है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बारिश कम होने के कारण भागीरथी नदी से 160 क्यूमेक्स, भिलंगना से 30 क्यूमेक्स और सहायक नदियों से केवल 30 क्यूमेक्स पानी आ रहा है। झील से 150 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। जलस्तर कम होने से विद्युत उत्पादन भी प्रभावित हो गया है। वर्तमान में THDC टिहरी बांध से 4.50 मिलियन यूनिट और कोटेश्वर बांध से 2.50 मिलियन यूनिट ही विद्युत उत्पादन कर रही है। THDC इन दिनों 3 घंटे सुबह और तीन घंटे शाम को चार के बजाए तीन टरबाइन ही चला रही है।
बताया जा रहा है कि सामान्य दिनों में टीएचडीसी 25 से 30 मिलियन विद्युत उत्पादन होता है। 42 वर्ग किलोमीटर में फैली झील का जलस्तर इन दिनों 88 मीटर कम हो गया है। सामान्य दिनों में जलस्तर अधिकतम आरएल 830 मीटर रहता है, लेकिन बारिश कम होने के कारण जलस्तर घटकर न्यूनतम स्तर आरएल 742 मीटर पहुंच गया है।
बताया जा रहा है कि टिहरी बांध की झील का जलस्तर कम होने से पुरानी टिहरी का राजमहल दिखने लगता है। टिहरी झील का न्यूनतम जलस्तर 740 आरएल मीटर तक पहुंचने से पुरानी टिहरी का राजमहल और खंडहर दिखने लगते हैं। राजमहल की खासियत है कि 2006 से महल कई बार दिखाई दिया लेकिन राजमहल जस के तस है।
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