अल्मोड़ा
विडंबना: उत्तराखंड में बीच सड़क पर सर्द रात, बारिश में टोर्च की रोशनी में हुआ नवजात का जन्म…
अल्मोड़ा: सर्द रात, बारिश और टोर्च की रोशनी में आधी रात में बीच सड़क पर प्रसव सोच सकते हैं क्या माहौल होगा। ऐसा ही मामला उत्तराखंड से झकझोर कर रख देने वाला मामला अल्मोड़ा से सामने आया है। विकासखंड भैंसियाछाना के रीठागाड़ क्षेत्र में प्रसव पीड़ा से पीड़ित एक महिला की जान सड़क मार्ग नहीं होने से आफत में पड़ गई। अस्पताल जाते वक्त आधी रात को पैदल रास्ते में ही टोर्च की रोशनी में बच्चे को जन्म दे दिया। उत्तराखंड को बने 21 साल हो गए हैं लेकिन विडंबना है कि आज भी प्रदेश मूलभूत सुविधाओं से दूर है। पहाड़ की समस्या पहाड़ की तरह जस की तस है। ग्रामीण सड़क, स्वास्थ्य जैसे मूलभूल सुविधाओं का अभाव झेल रहे है। महिलाएं सड़क पर प्रसव करने को मजबूर हैं तो वहीं आज भी मरीज डांडी कांडी के सहारे मिलों सफर कर दम तोड़ रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कनारीछीना के पतलचौरा गांव की प्रियंका वाणी (21) पत्नी राजेंद्र सिंह वाणी को रात अचानक प्रसव पीड़ा हुई। गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण परिजन उसको डोली में लेकर रात में स्वास्थ्य केंद्र ला रहे थे। घर से कुछ ही दूरी में महिला को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। गांव की ही कुछ बुजुर्ग महिलाओं और आशा के सहयोग से महिला ने अंधेरी सर्द रात में बारिश के बीच खेतों में ही बच्चे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं। ग्रामीण महिलाओं ने किसी प्रकार टॉर्च और मोबाइल के उजाले से महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। बाद में परिजन बच्चे सहित महिला को डोली में रखकर वापस घर लौट आए।
वहीं गांव के लोगों ने बताया वह लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं, उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई। बताया जा रहा है कि इस गांव से सड़क तक कि पैदल दूरी लगभग ढ़ाई किलोमीटर है, सड़क स्वीकृत हुई है, लेकिन कुछ पेंच फंसने के कारण निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। सड़क नहीं होने के कारण आये दिन लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सरकार के। विकास के तमाम दावों की पोल खोलते मामले दुःखद है। जिन समस्याओं के निदान के लिए उत्तराखंड बना था वो समस्याएं आज भी ज्यों की त्यों है।
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