विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, जयकारों से गूंजा आसमान... - Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा
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विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, जयकारों से गूंजा आसमान…

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विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, जयकारों से गूंजा आसमान…

विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज शनिवार को बंद कर दिए गए। धाम के कपाट शीतकाल के लिए 3 बजकर 35 पर बंद किए गए हैं। इस दौरान आकाश जयकारों से गूंज उठा। वहीं मंदिर को सुंदर तरीके से रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया। माणा गांव के महिला मंडल द्वारा बुने गए ऊन के घृत कंबल को भगवान बदरी विशाल को ओढ़ाकर कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।

विश्व प्रसिद्ध उत्तराखंड की चारधाम यात्रा ने इस साल नया रिकॉर्ड बनाया है। चारों धामों पर करीब 46 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया। 19 नवंबर यानी शनिवार को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारों धाम के शीतकालीन प्रवासों पर पूजा अर्चना की गई। इस बार बदरीनाथ धाम में रिकार्ड 17.47 लाख श्रद्धालु पहुंचे। 2018 में 10.58 लाख, जबकि 2019 में 10.48 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे।

बताया जा रहा है कि 20 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी व श्री कुबेर जी की डोली श्री बदरीनाथ धाम से श्री योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी। साथ में रावल व आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी भी योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी। श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी शीतकाल में श्री योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे ,जबकि 20 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के पश्चात 21 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। इसके पश्चात योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं आयोजित होगी।

26 अक्टूबर को गंगोत्री धाम, 27 अक्टूबर को केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बंद किए गए। वहीं 19 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट अगले छह महीने के बंद किए गए। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन प्रवास मुखबा, यमुनोत्री के खरसाली, केदारनाथ के ऊखीमठ और बदरीनाथ धाम के जोशीमठ व पांडुकेश्वर में पूजा की जायेगी। चारधाम के शीतकालीन प्रवासों में तीर्थयात्रियों व श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है।

कोरोना काल के मुश्किल भरे दो साल बाद इस बार बिना बंदिशों के संचालित की गई चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया था। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से ऑनलाइन व ऑफलाइन के साथ मोबाइल एप की व्यवस्था की गई थी। पंजीकरण के सत्यापन के लिए हेमकुंड साहिब समेत चारधामों में कर्मचारी तैनात किए गए थे। यह व्यवस्था चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या का आंकलन करने के लिए लागू की गई थी, ताकि किसी भी धाम में एक साथ अचानक बड़ी संख्या में तीर्थयात्री न पहुंच पाए और उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके। इसके अलावा यात्रा रूटों पर 30 से ज्यादा स्थानों पर कैमरे भी लगाए गए थे।

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तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए पर्यटन विभाग की ओर से टोल फ्री नंबर 1364 भी जारी किया गया। तीर्थयात्रियों ने धामों में बुकिंग की स्थिति से लेकर अन्य अपनी शिकायतों का समाधान इस नंबर पर बातचीत कर आसानी से किया। चारधामों में तीर्थयात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पहली बार स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा मार्गों पर नौ स्थानों पर हेल्थ स्क्रीनिंग शुरू की। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड और ऑक्सीजन की कमी से स्वास्थ्य पर पड़ने पर विपरीत प्रभाव के लिए 30 डॉक्टरों को उपचार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा हृदय रोगियों के लिए 12 डाक्टरों को कॉर्डियोलॉजी ट्रेनिंग देकर तैनात किया गया।

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पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, “चारधाम यात्रा ने नया रिकॉर्ड बनाया है। अब सरकार का फोकस शीतकालीन चारधाम यात्रा पर है। इसमें तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन के साथ साहसिक पर्यटन भी लोगों की पहली पसंद बन रहा है। इससे प्रदेश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैँ”I

उन्होंने कहा, “शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शीतकालीन चारधाम यात्रा महत्वपूर्ण साबित होगी। हमारा फोकस शीतकालीन चारधाम को बढ़ावा देने के साथ तीर्थयात्रियों की सुविधाओं पर है। इस साल चारधाम यात्रा में आए रिकॉर्डतोड़ तीर्थयात्रियों से बीते दो साल में चारधाम यात्रा से जुड़े कारोबारियों को हुए नुकसान की भरपाई हो पाई है। उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों व तीर्थयात्रियों को हर सुविधा व सेवा देने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है”।

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