रुद्रप्रयाग
मायूसी: धामों की यात्रा स्थगित होने से युवाओं के रोजगार पर छाया संकट, युवा दोहरी मार झेलने को विवश…
ऊखीमठ: देश भर में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों में निरन्तर वृद्धि होने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा चार धाम यात्रा को स्थगित करने का फरमान जारी होते ही स्थानीय व्यापारियों के अरमानों पर पानी फिर गया है। स्थानीय व्यापारियों को अब परिवार का भरण – पोषण करने के साथ ही भविष्य की चिंता सताने लग गयी है। प्रदेश सरकार का फरमान जारी होते ही स्थानीय व्यापारियों के चेहरे पर भविष्य की चिंता सताने लग गयी है। आगामी 17 मई से केदारनाथ यात्रा शुरू होने से पूर्व गुलजार रहने वाले यात्रा पडाव इस बार भी वीरान रह सकते है। केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ धामों की यात्रा पर निर्भर रहने वाले व्यापारियों, घोड़े – खच्चर, डंडी, कंडी संचालकों व मजदूर की भविष्य का गुजारा कैसे होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर चार धाम यात्रा के स्थगित होने से अधिकांश युवाओं के चेहरे की रौनक गायब हो गयी है।
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दूसरे चरण के विकराल रूप धारण करने से पूर्व यहाँ के युवाओं को उम्मीद थी कि इस बार तीनों धामों की यात्रा का संचालन बहुत बेहतरीन ढंग से होगा जिससे पिछले वर्ष की भरपाई भी होगी मगर प्रदेश सरकार का चार धाम यात्रा स्थगित करने का फरमान जारी होते ही युवाओं के चेहरे की रौनक गायब हो गयी है। बता दे कि विगत वर्ष भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खुले थे तथा केदार घाटी का व्यापारी मार्च महीने के प्रथम सप्ताह से ही यात्रा व्यवस्थाओं की तैयारियों में जुट गया था मगर 22 मार्च को वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण लांकडाउन लगने से स्थानीय व्यापारियों के अरमान धरे के धरे रह गये थे तथा व्यापारियों की सारी तैयारियां चौपट हो गयी थी। प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जून माह से तीर्थ स्थलों में बिना दर्शन के तीर्थ यात्रियों की आवाजाही शुरू तो हुई थी मगर तब तक लांकडाउन सब कुछ छीन चुका था। केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ यात्रा पर निर्भर रहने वाले व्यापारियों सहित अन्य व्यवसाय का संचालन करने वाले युवाओं को उम्मीद थी कि इस बार तीनों धामों की यात्रा का संचालन बेहतरीन तरीके से होगा जिससे पिछले वर्ष की भरपाई भी होगी मगर प्रदेश सरकार का फरमान जारी होते ही स्थानीय व्यापारियों के सपने चकनाचूर होने के साथ ही उन्हें भविष्य की चिंता सताने लग गयी है।
कनिष्ठ प्रमुख शेलेन्द्र सिंह कोटवाल का कहना है कि केदार घाटी, कालीमठ घाटी, मदमहेश्वर घाटी तथा तुंगनाथ घाटी का 80 प्रतिशत युवा तीनों धामों की यात्रा पर निर्भर रहता है मगर विगत वर्ष व इस वर्ष तीनों धामों की यात्रा स्थगित होने से स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा हो गया है। प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष रावत का कहना है कि वैश्विक महामारी के साथ – साथ रोजगार छीनने से यहाँ का युवा दोहरी मार झेलने को विवश हो गया है। प्रधान चौमासी मुलायम सिंह तिन्दोरी का कहना है कि कुछ लोगों ने बैकों से ऋण लेकर आगामी यात्रा के साथ ही होम स्टे का संचालन भी शुरू कर दिया था मगर चार धाम यात्रा के स्थगित होने से सभी के चेहरे की रौनक गायब हो गयी है। व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष आनन्द सिंह रावत ने बताया कि तीनों धामों की यात्रा शुरू होने से अन्य बाजारों में रौनक रहती थी मगर वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण सभी बाजारों से लेकर युवाओं के चेहरे की रौनक लील गया है।
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