उत्तराखंड
निर्णय: स्कूली बच्चे को दिया वाहन तो 25 हजार का जुर्माना और तीन साल की सजा, पढ़ लीजिए…
देहरादून। सडक पर तेज रफ्तार से दोपहिया दौड़ा रहे स्कूली बच्चों से यदि कोई हादसा होता है तो उसके लिए छात्र समेत उसके अभिभावको को भी जिम्मेदार माना जाएगा। अभिभावक और वाहन स्वामी को मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दोषी माना जाएगा। साथ ही केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन एक्ट के तहत भी कार्यवाही होगी। इसमें 25 हजार रुपये तक के जुर्माने और तीन साल की सजा का प्रावधान है।
संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) सुनील शर्मा ने कहा कि देखने में आ रहा है कि कक्षा नौ से बारहवीं तक के नाबालिग छात्र वाहन चलाते समय हेलमेट का प्रयोग नहीं कर रहे है। इस पर चिंता व्यक्त करने के साथ ही अभिभावकों को चेतावनी जारी की गई है। उन्होंने सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि छात्रों के यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले में नए मोटर व्हीकल एक्ट और आईपीसी की सुसंगत धाराओ में अभिभावकों को दोषी माना जाएगा या फिर वाहन स्वामी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस तरह के मामलों में 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल की सजा का प्राविधान है।
वहीं जुवेनाइल (केयर एंड प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन) एक्ट के तहत मुकदमा भी चलाया जाएगा। नियमों के मुताबिक अगर नाबालिग बच्चे से कोई दुर्घटना हो जाती है तो बीमा का क्लेम भी नहीं दिया जाएगा। साथ ही वाहन का रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए निरस्त कर दिया जाएगा। संभागीय परिवहन अधिकारी ने अभिभावकों को सलाह दी है कि नाबालिग बच्चों को दोपहिया वाहन चलाने की अनुमति न दें और उन पर कडी नजर भी रखें।
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