उत्तराखंड
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की कवायद एक बार फिर हुई तेज, हो रहा तीसरा सर्वे…
को पूरी दुनिया में नई पहचान मिलेगी। विदेश में बैठा पैसेंजर भी वहां के एयरपोर्ट डिस्प्ले बोर्ड पर देहरादून एयरपोर्ट की फ्लाइटों के समय को देखेगा और कई रूपों में क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन दूसरा पहलू ये है कि वर्तमान में जौलीग्रांट एयरपोर्ट सुबह छह बजे से लेकर रात लगभग नौ बजे तक खुला रहता है और इसी दौरान इस एयरपोर्ट पर कार्मिशियल और दूसरी प्राईवेट फ्लाइटों का मूवमेंट रहता है। इस बीच लोग आराम से सोते हैं। लेकिन जब जौलीग्रांट एयरपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय हो जाएगा। तब इस एयरपोर्ट पर चौबीसों घंटे फ्लाइटें चलेंगी। और लोग फ्लाइटों के शोरगूल से पूरी रात परेशान रहेंगे। प्रदूषण से क्षेत्र के पर्यावरण व बारिश पर भी असर पड़ सकता है।
बिरला ने रखी थी नींव उत्तराखंड सरकार ने आगे बढाया
जौलीग्रांट एयरपोर्ट की नींव 70 के दशक में देश के विख्यात उद्योगपति बिरला द्वारा रखी गई थी। जिसे जंगल काटकर बनाया गया था। उस वक्त बिरला का जहाज ही यहां कभी-कभार आता था। बाद में इस एयरपोर्ट को उन्होंने सरकार को दे दिया था और 80 में इस एयरपोर्ट पर कामर्शियल फ्लाइटें शुरू हुई। जो हफ्ते में एक या दो दिन ही यहां आती थी। 2006-07 में सरकार ने जमीनें अधिग्रहण कर इस एयरपोर्ट का विस्तार किया। और किंगफिशर ने सबसे पहले यहां नियमित उड़ानें शुरू की थी।
इंटरनेशल एयरपोर्ट को हो रहा तीसरा सर्वे
इंटरनेशल एयरपोर्ट के लिए यह तीसरा सर्वे किया जा रहा है। एयरपोर्ट विस्तारीकरण का जो पहला मैप बनाया गया था। उसमें एयरपोर्ट को चौड़ा कर अठुरवाला की तरफ बढाया जाना प्रस्तावित था। उसके बाद जो दूसरा मैप बनाया गया उसमें एयरपोर्ट टर्मिनल के पास थानों वन रेंज की करीब 243 एकड जमीन लेनी प्रस्तावित थी। जिसकी नाप-जोख और पेड़ों की गणना आदि भी हो चुकी थी।
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