Uttarakhand News: विश्व पहाड़ दिवस पर युवा हुए एकजुट, सरकार से की ये मांग, उठाया ये मुद्दा... - Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा
Connect with us

Uttarakhand News: विश्व पहाड़ दिवस पर युवा हुए एकजुट, सरकार से की ये मांग, उठाया ये मुद्दा…

देहरादून

Uttarakhand News: विश्व पहाड़ दिवस पर युवा हुए एकजुट, सरकार से की ये मांग, उठाया ये मुद्दा…

आज विश्व पहाड़ दिवस के अवसर पर एकता विहार स्थित धरना स्थल पर पूर्व छात्र संघ महासचिव सचिन थपलियाल ने धरना दिया। जिसमें कई संगठनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया । सबसे पहले ग्रेटर हिमालय मध्य हिमालय व शिवालिक श्रेणी के पहाड़ो को धन्यवाद प्रेषित किया गया जिन हिमालय के पहाड़ो ने सम्पूर्ण भारत को वेद पुराण के साथ साथ सुनहरा मौसम व स्वच्छ हवा दी ।  धन्यवाद के बाद सभी ने एकजुटता के साथ हिमालय पर्वत के उत्तरी व मध्य  भाग में बन रही टनलों/ चारो धामों में चल रहे विनाशकारी प्रोजेक्टों को शीघ्र ही बंद करने की माँग करी । शिवालिक हिमालय का दक्षिणी तथा भौगोलिक रूप से युवा भाग है जो पश्चिम से पूरब तक फैला हुआ है।

देहरादून शिवालिक श्रेणी में बसा हुआ शहर है जिसका दोहन सरकार कर रही है  भूगर्भ शास्त्रीय दृष्टि से ये देहरादून बायो रिज़र्व जोन का हिस्सा है यहां किसी भी तरीके से कार्बन उत्सर्जन व ग्रीनहाउस गैस वाले सभी कार्य बंद करें व देहरादून की पुरानी गरिमा को वापस लौटे। मुख्य रूप से मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री से उत्तराखंड के लिए कई मांगे रखी गयी, जिसमें डिमांड की गई कि उत्तराखंड को संरक्षित राज्य घोषित करें क्योंकि उत्तराखंड राज्य मुख्य रूप से पहाड़ो के लिए बना था और वर्तमान में कुछ उधोगपतियों ने पूरे पहाड़ को आज टाइम बम के ऊपर ला दिया है। जिससे पहाड़ों की जमीन धंस रही है । सभी आंदोलनकारियों ने मांग की मुख्यमंत्री पुष्कर धामी तत्काल सभी विनाशकारी प्रोजेक्टस को रोके। “एक तीर एक कमान सारा पहाड़ एक समान” के नारों की गूंज से समस्त पहाड़ी भाषी आबादी के लिए सामाजिक व आर्थिक रूप से आरक्षण घोषित करें ।

सचिन ने कहा कि पहाड़ वाइब्रेटिंग मोड पर है, नेता फ्लाइट मोड पर है औऱ जनता साइलेंट मोड पर है क्योंकि लैंडस्लाइड में पिछले 5 साल में 3000% वृद्धि हुई है । जिसका कारण है Denuded नीति मतलब पेड़ों को काट काट के पहाड़ों को नंगा कर देना । उत्तराखंड में पिछले 5 साल में 37 ताल उत्तराखंड में गिर चुके हैं, 27 पुल गिरने को तैयार खड़े हैं। 20 सालो में चंडीगढ़ क्षेत्र से 5 गुना ज्यादा वन क्षेत्र हमने उत्तराखंड में खो दिए हैं । आपदा प्रबंधन विभाग ने 2018 में एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसके मुख्य बिंदु थे की उत्तराखंड में 50% हिस्से बेहद संवेदनशील हैं अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब तक 6536 landslide zone चिह्नित किये जा चुके है औऱ 1093 गांव हॉट स्पॉट की जद में है जहाँ पर क्लाउड ब्लस्ट, भु धसाव की ज्यादा संभावना है। वर्ल्ड बैंक की मदद से यह सर्वे हुआ था।

नागरिक मंच से यश आर्य ने सवाल किया कि पुष्कर धामी की सरकार जनता के खिलाफ क्यो जा रही है 23 सालो में उत्तराखंड को क्या मिला , पहाड़ो में एक नारा है कि “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी हैं” राज्य में जमीनों की खुली छूट के चलते भू माफ़िया आज प्रदेश में हावी है । यश आर्य ने उत्तराखंड को सख्त भू कानून के साथ साथ अनुच्छेद 371 की मांग करी । पुष्कर सरकार की नीतियों द्वारा उल्टी गंगा बहाई जा रही है क्योंकि हमने मांग “भू कानून” की करी थोपा “समान नागरिक संहिता” हमने मांगा “मूल निवास 1950” दिया 2000 स्थायी निवास, बेरोजगार संघ ने मांगी थी सीबीआई जांच मिला “नकल विरोधी कानून” और मांगी थी पहाड़ में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिला ऋषिकेश एम्स, हमने मांगे पहाड़ी सड़कों में यातायात के ज्यादा वाहन मिला चार धाम सड़क हमें लगता है।

यह भी पढ़ें 👉  Rishikesh News: हरिद्वार देहरादून राजमार्ग पर तीन पानी पुलिया के समीप मिला युवती का शव, गला रेत कर हत्या...

बॉबी पंवार ने कहा कि जितने भी सनातन संस्कार है वह गंगा जी की अविरल बहती धारा में ही किये जायें शास्त्रों में भी लिखा हुआ है कि जब गंगा निर्मल बहती हैं तभी उसमें किये गए कार्य सिद्धि माने जाते हैं। कोई भी ऐसी धारा जो बंधी हुई हो उसमें हमारे धार्मिक संस्कार नही किये जाते। इसलिय अंग्रजो के समय पे भी तीर्थ पुरोहितो ने गंगा तटो पर बांधो का विरोध किया सदियों से पहाड़ो में रहने वाले लोग बहुत भयंकर डर में है क्योंकि सरकारी आपदाओं के कारण मानवों के अस्थि पंजर नदी में बह रहे है।

यह भी पढ़ें 👉  Rishikesh News: हरिद्वार देहरादून राजमार्ग पर तीन पानी पुलिया के समीप मिला युवती का शव, गला रेत कर हत्या...

“राज्य नवनिर्माण अभियान” ने माना कि पर्वतीय भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य का आधारभूत ढांचा मैदानी इलाकों की अपेक्षा अधिक कठिन होता है, क्योंकि पहाड़ी राज्य की इकोलॉजी और इकोनामी दोनों ही प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहती है और आधारभूत ढांचे में कभी कभी ऐसी परिस्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं, जिसमें वनों को, प्रकृति को और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. हमें विकास और प्रकृति के संरक्षण को एक दूसरे का पूरक बनाकर आधारभूत ढांचे के निर्माण पर ध्यान देना होगा. यह तभी संभव है जब हम “उपभोग नहीं बल्कि उपयोग“ के सिद्धांत का अनुसरण करेंगे ।  सामुहिक जिम्मेदारी लेते हुए सभी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ साथ विश्व की सभी संस्थाएं को चेतावनी दी और उत्तराखंड व उत्तराखंड के पहाड़ो पे विशेष ध्यान देने की अपील की । धरने में उपस्थित विशाल चौहान, दीपेंद्र लाल, नवीन चौहान, संतोष राणा, सुनील रावत, अभिषेक, राजेन्द्र, अंकित खैरवाल, सुनील चौहान, अरविंद नेगी , ऋषभ रावत, आदि उपस्थित थे ।

Latest News -
Continue Reading
Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in देहरादून

Advertisement

उत्तराखंड

उत्तराखंड
Advertisement

देश

देश

YouTube Channel Pahadi Khabarnama

Our YouTube Channel

ट्रेंडिंग खबरें

Recent Posts

To Top
3 Shares
Share via
Copy link