देहरादून
Big Breaking: सरकार और सचिवालय कर्मियों में ठनी, मुकदमें और शासनादेश के बाद भी मांगों पर अड़े…
देहरादून: उत्तराखंड में सचिवालय कर्मचारियों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। नो वर्क नो पे शासनादेश के बावजूद कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। आंदोलन कर रहे सचिवालय कर्मियों पर ना केवल मुकदमा दर्ज किया गया बल्कि सीएम आवास पर उनको बुला कर उनसे मुलाकात तक नहीं की गई वहीं अब सचिवालय में एंट्री भी नहीं दी जाएगी। ऐसे में कर्मचारियों ने सचिवालय के सामने धरना देकर अपनी मांगों को लेकर जल्द से जल्द विचार किए जाने और इस पर आदेश किए जाने की मांग उठाई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने साफ तौर पर कहा कि मुख्यमंत्री को गुमराह किया गया उनके अनुसार मुख्यमंत्री को ऐसा कागज पकड़ा दिया गया जो मांगे पहले ही पूरी हो चुकी है ऐसे में कर्मचारियों ने सीधे तौर पर शासन के दो अधिकारियों अमित नेगी और आनंद वर्धन पर निशाना साधा उनके अनुसार यह गलत तथ्य पेश कर कर सरकार को कर्मचारियों के खिलाफ कर रहे हैं। ऐसे में सचिवालय कर्मचारियों ने मंगलवार से हड़ताल का फैसला किया था। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से भी कर्मचारी संगठनों ने मुलाकात की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों की मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई। इसके बाद मुख्य सचिव ने हड़ताल को रोकने के लिए नो वर्क, नो पे का आदेश भी जारी किया, लेकिन इसका असर नहीं हुआ है। उधर हड़ताली कर्मचारियों को सचिवालय से बाहर रखने की भी कोशिश किए जाने के आरोप लगाये जा रहे हैं।
ऐसे में आक्रोशित कर्मचारियों ने आज अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। कर्मचारी सचिवालय गेट के सामने बैठकर अपनी मांगों को जल्द पूरा किए जाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि इससे पहले भी सचिवालय कर्मचारी सरकार और शासन से अपनी मांगों पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग करते रहे हैं, लेकिन इस मामले पर कोई कार्रवाई न होता देख, अब कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को तेज कर दिया है।
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