पेपर लीक का इलाज: हल्द्वानी से सरकार और आयोग को भेजी गई "एम-सील", सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे सैकड़ों ज्ञापन - Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा
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पेपर लीक का इलाज: हल्द्वानी से सरकार और आयोग को भेजी गई “एम-सील”, सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे सैकड़ों ज्ञापन

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पेपर लीक का इलाज: हल्द्वानी से सरकार और आयोग को भेजी गई “एम-सील”, सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे सैकड़ों ज्ञापन

हल्द्वानी : उत्तराखंड में यूके-एसएसएससी से जुड़े पेपर-लीक प्रकरण के खिलाफ कुमाऊं के छात्र-युवा और प्रभावित अभिभावक अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गए हैं। देहरादून में शुरू हुए आंदोलन के बाद शुक्रवार को हल्द्वानी में लगातार दूसरे दिन भारी विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें समस्त पीड़ितों ने अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी और उत्तराखंड सरकार से सीबीआई जांच तथा स्नातक-स्तरीय परीक्षा के तत्काल रद्दीकरण की मांग की।

शुक्रवार को बुद्ध पार्क में उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष भूपेंद्र कोरंगा का आमरण अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा,दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ के साथ हुई । शाम होते होते हल्द्वानी में आंदोलन ने एक नया और चुटीला मोड़ ले लिया।

करीब तीन बजे सैकड़ों युवाओं ने सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित सैकड़ों ज्ञापनो को व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री को भिजवाया।इन सभी ज्ञापनों में प्रदेश की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पारदर्शिता और सीबीआई जांच,स्नातक स्तरीय परीक्षा रद्द करने, आयोग को भंग कर उसके पुनर्गठन के लिए राज्य सरकार को निर्देशित करने की मांग प्रमुख थी। वही गुस्से से भरे छात्रों ने भ्रष्ट तंत्र और लीक होती परीक्षाओं का अनोखा इलाज खोज निकाला इस दौरान उन्होंने सरकार, आयोग और जिम्मेदार तंत्र को एम-सील (M-Seal) का पैकेट भेजकर लीक तंत्र पर सील लगाने की मांग की।

यह कदम युवाओं द्वारा किए गए व्यंग्यपूर्ण विरोध का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य यह दर्शाना था कि जब तक भौतिक रूप में लीकेज बंद नहीं होता, तब तक शब्दों में बंद होना मायने नहीं रखता है। परीक्षार्थी रहे धीरज कुमार ने कहा कि ‘एम-सील’ सरकार और आयोग की कार्यप्रणाली पर व्यंग्यात्मक प्रकाश डालने का एक तरीका है, जिससे यह पूछा जा रहा है कि लीकेज का किस स्तर तक सामान्यीकरण हो चुका है।

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आमरण अनशन पर बैठे उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के उपाध्यक्ष भूपेंद्र कोरंगा का कहना था कि जब सरकार और आयोग “लीकेज” रोकने में नाकाम हैं, तो क्यों न उन्हें एम-सील भेजकर यह याद दिला दिया जाए कि लीक बंद करना कैसे होता है।

उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक पीयूष जोशी ने तंज कसते हुए कहा, “जब आयोग के कमरे, फाइलें और सवालपत्र हर बार लीक हो जाते हैं, तो हमें लगा अब एम-सील ही आखिरी उपाय है। सरकार चाहे तो इसे तिजोरी, परीक्षा हॉल और यहां तक कि अपने वादों पर भी चिपका सकती है।”

कार्यक्रम की शुरुआत गंभीर माहौल में हुई थी जिसमें हनुमान चालीसा का पाठ कर छात्रों ने अपने आंदोलन को शक्ति और आस्था से जोड़ा। लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब मंच से एम-सील के पैकेट लहराए गए और उन्हें प्रतीकात्मक तौर पर आयोग व सरकार को भेजा गया, तो पूरा धरना-स्थल पर “पूरा सिस्टम वीक है तभी तो पेपर लीक है” के नारो से गूंज उठा।
राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी ने कहा कि जब-जब भर्ती परीक्षाएं होती हैं, तब-तब “लीकेज” की खबरें अखबारों में सुर्खियां बन जाती हैं। ऐसे में अब आयोग के भवन पर एम-सील लगाकर ही असली ताले का काम किया जा सकता है।
अधिवक्ता भानु कबडाल ने कटाक्ष किया कि “अगर सरकार बेरोजगार युवाओं का भविष्य नहीं बचा सकती तो कम से कम एम-सील से सवालपत्र तो बचा ले।” धरना-स्थल पर व्यंग्य की बौछार यहीं नहीं रुकी। छात्रों ने मंच से नारे लगाए:
“पेपर हो या पाइपलाइन, सब जगह लीकेज! सरकार ले लो एम-सील का पैकेज!”
“नौकरी चाहिए पारदर्शी, आयोग को चाहिए एम-सील भारी।”
“लीकेज रोकना मुश्किल है सरकार से, अब एम-सील ही सहारा है।”
शहर के बुद्ध पार्क से लेकर सोशल मीडिया तक, यह प्रतीकात्मक विरोध तेजी से चर्चा में का विषय बन गया।
छात्रा उपाध्यक्ष ज्योति दानू ने कहा कि यह कोई मजाक नहीं, बल्कि व्यवस्था पर गंभीर व्यंग्य है। एम-सील अब सरकार की नाकामियों का नया प्रतीक बन गई है।
युवा पार्षद शैलेंद्र दानू का कहना था कि यदि सरकार सच में गंभीर है तो वह केवल धरनों पर पुलिस भेजने के बजाय पेपर लीक कराने वाले माफियाओं पर शिकंजा कसे। अन्यथा, युवाओं के पास अब और भी चुटीले लेकिन असरदार तरीके अपनाने के विकल्प खुले हैं।
किसान मंच प्रदेश अध्यक्ष कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीक़े से संघर्ष जारी रखेंगे, लेकिन यदि सरकार ने मांगों की अनदेखी की और दमनकारी कदम उठाये तो आंदोलन की तीव्रता बढ़ाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
प्रदर्शन समाप्त होते-होते युवाओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी प्रमुख मांगें:(1) पूरे प्रकरण की स्वतंत्र सीबीआई जांच, (2) विवादित स्नातक-स्तरीय परीक्षा का तत्काल और पूर्णतः रद्दीकरण तथा (3) दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई व आयोग को भंग कर पुनः गठन के बिना वे अपने धरने और अनशन समाप्त नहीं करेंगे।
खीमेश पनेरु साफ चेतावनी दी कि अगर सीबीआई जांच और परीक्षा रद्द करने की मांगों पर तुरंत निर्णय नहीं हुआ, तो एम-सील आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप लेगा।

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धरने के अंत में छात्रों ने दोबारा नारा लगाया—“पेपर लीक कराने वालों, शर्म करो शर्म! एम-सील भेजी है, अब करो मरम्मत धर्म!”
इस दौरान पूर्व विधायक नारायण पाल , युवा नेता विशाल सिंह भोजक,प्रियंका भट्ट,गिरीश चंद्र आर्य, आयुषी बिष्ट,कविता दानू पायल बिष्ट,पूजा बिष्ट, सूरज रावत,नीरज गंगोला,गोकुल मेंलकनी,समेत अनेक युवा नेता मौजूद रहे।

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