देहरादून
आस्थाः जौनसार बावर में बिस्सू पर्व की धूम, 67 बाद साल देवता को भक्तों ने अर्पित किए बुरांस के फूल…
देहरादूनः उत्तराखंड की लोकसंस्कृति अपने आप में अनुठी है। यहां हर पर्व और मंदिर का अपना एक इतिहास और मान्यता है। देहरादून से सटे जौनसार बावर में आज बिस्सू पर्व की धूम देखने को मिल रही है। 67 साल बाद जौनसार की खत मझियारना के समाल्टा में बिस्सू का फुलियात पर्व मनाया गया। 11 गांवों के लोगों ने फूल महासू देवता को अर्पित किये. वहीं, लोकगीतों पर ग्रामीण जमकर थिरके। ये समां देखने ही बन रहा था।
बता दें कि जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर अपनी अलग पौराणिक संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां बिस्सू पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। पर्व के पहले दिन फुलियात पर्व मनाया जाता है, जिसमें लोग अपने इष्ट देवता को बुरांश के फूल अर्पित करते हैं। चालदा महासू मंदिर समाल्टा में भी ग्रामीणों ने हाथों में खुशहाली के प्रतीक बुरांश के फूल की लालिमा बिखेर बिस्सू यानी फुलियात की रौनक बढ़ाई। लोग ढोल दमाऊं की थाप और लोकगीतों पर थिरकते नजर आए। कहा जाता है कि संक्रांति के दिन फुलियात पर्व बसंत से जुड़ा होने के चलते लोग नई उमंग और नए उत्साह के साथ लाल सुर्ख बुरांश के फूलों को अपने घरों के छतों पर लगाते हैं। जिसे शुभ माना जाता है।
बता दें कि बैसाखी की संक्राति से एक दिन पहले मंगलवार को रायगी गांव स्थित शेडकुडिया महाराज और चालदा महासू मंदिर कोटी-बावर में मने बिस्सू मेले के साथ जौनसार-बावर में बिस्सू पर्व का आगाज हो गया था। जिसके बाद अन्य स्थानों पर बिस्सू पर्व की शुरूआत हुई। फुलियात पर्व मनाने बड़ी संख्या में जुटे स्थानीय ग्रामीणों व महिलाओं ने देवता के दरबार में मत्था टेकने के बाद ढोल-दमोऊ व रणसिंघे की थाप पर हारुल के साथ तांदी नृत्य की प्रस्तुति से समा बांधा।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 पहाड़ी खबरनामा के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 पहाड़ी खबरनामा के फेसबुक पेज़ को लाइक करें
Latest News -
संवेदनशील प्रशासन; आपदाग्रस्त गांव बटोली प्रभावितों के द्वार, लगाया मेडिकल कैम्प
उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर संस्कृति एवं पर्यावरण को समर्पित उत्तराखण्ड के लोक पर्व ‘हरेला महोत्सव 2025’ के शुभारम्भ पर विचार गोष्ठी एवं वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन
हरेला पर्व पर एनएमओ का पर्यावरण संरक्षण संकल्प — मेडिकल कॉलेज और स्कूल में धरा हरियाली का रंग
कर्नल अजय कोठियाल : त्याग और जनसेवा की मिसाल
गुप्तकाशी-ल्वारा मोटर मार्ग पर हुआ हादसा प्रशासन की तत्परता से बची यात्रियों की जान
