उत्तराखंड
सावधान: उत्तराखंड में कोरोना के बाद अब खतरनाक LSD वायरस की दस्तक, जानिए क्या है लक्षण…
देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना का कहर अभी थमा ही था कि एक और खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। प्रदेश में पहली बार लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) वायरस का मामला सामने आया है। इस वायरस की पुष्टि काशीपुर में दुधारू पशुओं में हुई है। काशीपुर ब्लॉक के एक फार्म में 13 गाय-भैंसों में लक्षण मिलने पर सैंपल जांच के लिए भेजे थे, जिनमें चार गायों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिले के पशुपालकों को अलर्ट कर दिया गया है। इससे पहले गाय-भैंसों में यह बीमारी भारत में वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में देखने को मिली थी।
आपको बता दें कि ये लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) वायरस बेहद खतरनाक होता है। पशुओं में वायरस आने पर उनके शरीर में जगह-जगह गांठें बन जातीं हैं। पशुओं को तेज बुखार हो जाता है। इसके चलते पशु चारा खाना भी छोड़ देते हैं। यह वायरस पशुओं में मक्खी, मच्छर, पशु से पशु का संपर्क, पशुलार आदि से तेजी से फैलता है। यह वायरस पशुओं की वायरल बीमारी है, जो मनुष्य में नहीं फैलती है। इसके साथ ही इस वायरस से पशु मृत्यु दर बहुत कम है लेकिन पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। काशीपुर ब्लॉक के एक फार्म में 13 गाय-भैंसों में लक्षण पाए जाने पर उनके सैंपल जांच के लिए बरेली आवीआरआई भेजे गए थे। मंगलवार को आई रिपोर्ट में चार गायों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
बताया जा रहा है कि राज्य में एलएसडी वायरस के लक्ष्ण पहली बार दुधारू पशुओं में देखे गए हैं, विशेषज्ञ डॉक्टरों की माने तो इससे पशुपालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। अगर पशुओं में इस तरह के लक्ष्ण देखने को मिलते हैं तो क्षेत्र के पशु डॉक्टर से संपर्क कर उपचार करवाएं। यह एक वैक्टर वार्न (मच्छर किलनी) बीमारी है। इसमें पशुओं की मृत्युदर बेहद कम होती है। गाय-भैंसों का दूध अच्छी तरह उबालकर पी सकते हैं। इससे मानव को कोई हानि नहीं पहुंचेगी। बस जागरूकता की ज़रूरत है।
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