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BREAKING: भारत में कोरोना के खतरनाक JN.1 वैरिएंट की दस्तक, बढ़ रहे मरीज, उत्तराखंड में भी गाइडलाइन जारी…

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BREAKING: भारत में कोरोना के खतरनाक JN.1 वैरिएंट की दस्तक, बढ़ रहे मरीज, उत्तराखंड में भी गाइडलाइन जारी…

देश में लगभग दो साल तक चिंता का पर्याय बने रहे कोविड वायरस ने एक बार फिर से सभी को चिंता में डाल दिया है. इसके एक नये वैरिएंट के बारे में पता चला है जोकि अभी तक के मिले सभी वैरिएंट का एक नया वर्जन है. JN.1 उप-संस्करण BA.2.86 (जिसे पिरोला भी कहा जाता है) का एक नया उप-वंश है-जो अपने आप में व्यापक रूप से प्रसारित ओमीक्रॉन वैरिएंट का एक ऑफ-शूट है। वहीं कोरोना के मरीजों में भी बढ़ोतरी देखी गई है, ऐसे में प्रशासन अलर्ट पर आ गया है। कोरोना को लेकर उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन जारी की है। आइए जानते है कोरोना रिटर्नस और नए वैरिएंट के बारे में…

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार  कोरोना वायरस के नए सब वैरिएंट JN.1 के सामने आने के बाद लोगों की टेंशन बढ़ गई है। केरल से इसका एक्टिव केस सामने आया है। वहीं केरल में सोमवार को कोविड-19 के 111 नए मामले सामने आए। केरल में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया है। वहीं केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है।

बताया जा रहा है कि JN.1 वैरिएंट ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक सब-वैरिएंट है। ये कोविड का नया वैरिएंट नहीं है। सबसे पहले दिसंबर 2022 में लक्जमबर्ग में ये वैरिएंट मिला था। इसके बाद यह दुनिया भर में 40 से अधिक देशों में फैल चुका है। JN.1 उसी पिरोलो वैरिएंट से आया है, जो खुद ओमिक्रॉन वैरिएंट से निकला था। JN.1 वैरिएंट के लक्षण अन्य ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट जैसे ही हैं। इसमें बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में, JN.1 वैरिएंट से पीड़ित लोगों में भी स्वाद या गंध की हानि, उल्टी या दस्त जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।

वहीं उत्तराखंड सरकार भी कोविड-19 के नए वेरिएंट जेएन-1 को लेकर सतर्क हो गयी है। प्रदेश भर में कोरोना के इस नए वेरिएंट को लेकर एडवाइजरी जारी की गयी है। स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं कि अस्पतालों में कोविड से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करें। साथ ही सांस, फेफड़े और हृदय रोगियों की निगरानी की जाएं और उनके इंन्फुंएजा की जांच की जाए।

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