चरणजीत के त्याग को नमन- न पति को कभी देखा, न ही साथ रहीं शहीद की विधवा बन गुजार दी ताउम्र... - Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा
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चरणजीत के त्याग को नमन- न पति को कभी देखा, न ही साथ रहीं शहीद की विधवा बन गुजार दी ताउम्र…

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चरणजीत के त्याग को नमन- न पति को कभी देखा, न ही साथ रहीं शहीद की विधवा बन गुजार दी ताउम्र…

रणजीत की शादी बचपन में हो गई थी मगर मुकलावे से पहले गोवा मुक्ति आंदोलन में पति करनैल सिंह शहीद हो गए थे। गोवा के सीएम शहीद की पत्नी के त्याग को नमन करने आज बड़ौला गांव पहुंचेंगे। चरणजीत एक दिन भी पति संग नहीं रही, पंजाब सरकार हर साल सम्मानित करती है।

छोटी उम्र में अंबाला जिले की चरणजीत कौर का पंजाब के खन्ना जिले के नजदीक इसडृ गांव निवासी मास्टर करनैल सिंह से विवाह हो गया था मगर मुकलावा न होने की वजह से चरणजीत अपने मायके अंबाला स्थित गांव बड़ोला में ही रह रही थी। उन्होंने न कभी अपने पति को देखा और न ही उनके साथ रहीं।

उधर, सन 1947 को देश तो आजाद हो गया था मगर गोवा अभी भी पुर्तगालियों के कब्जे में था। वहां गोवा मुक्ति आंदोलन चल रहा था। पंजाब के मास्टर किशोरी लाल के आह्वान पर मास्टर करनैल सिंह भी इस आंदोलन में भाग लेने ट्रेन के जरिये एक जत्थे के साथ रवाना हो गए। आंदोलनकारियों का जत्था जब महाराष्ट्र-गोवा की सीमा पर स्थित पतरा देवी बॉर्डर पर पहुंचा तो पुर्तगालियों ने उन्हें गोवा प्रांत में आने से रोक दिया।

गोवा को आजाद करने की मांग बुलंद करते हुए जब आंदोलनकारी आगे बढ़ते रहे तो वहां पुर्तगाली सेना ने फायरिंग कर दी। एक आंदोलनकारी के माथे पर गोली लगी और उनके हाथ में पकड़ा तिरंगा नीचे गिरने लगा, तभी गिरते हुए इस तिरंगे को मास्टर करनैल सिंह ने संभाला और आगे बढ़ने लगे।

इसी दौरान दूसरी गोली भाई करनैल सिंह को लगी और वे शहीद हो गए। उनके शव को गांव इसड़ू लाया गया और पंजाब सरकार आज हर साल 15 अगस्त को यहां बड़े स्तर पर आयोजन करती है, जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री मौजूद रहते हैं।

चरणजीत बन गईं जिंदा शहीद

पति की शहादत संबंधी सूचना जब पत्नी चरणजीत कौर को लगी तो उन्होंने जिंदा शहीद बनने का फैसला किया। हालांकि परिजन चाहते थे कि उनका घर बस जाए, लेकिन चरणजीत ने साफ इंकार करते हुए अपनी पति की शहादत को स्वीकार करते हुए उनकी ताउम्र उनकी विधवा रहने का फैसला लिया। उनके भाई गुरचरण सिंह, भाभी कुलवंत कौर, भतीजे परमिंद्र व परमजीत सिंह बताते हैं कि चरणजीत कौर दोबारा विवाह न करने का फैसला लिया और समाज सेवा के लिए अपना समर्पित कर दिया।

उन्हें हर साल 15 अगस्त को पंजाब सरकार गांव इसड़ू बुलाकर सम्मानित करती है। भतीजे परमजीत सिंह बताते हैं कि जिला प्रशासन को भी मांग पत्र देकर उनसे आग्रह किया जा चुका है कि वे भी अपनी इस महान बेटी के त्याग को सम्मान प्रदान करें मगर आज तक इस मांग पर कुछ नहीं हुआ।

चरणजीत नहीं पहुंच पाई तो सीएम खुद आ रहे

86 वर्षीय माता चरणजीत कौर को इस साल आजादी के अमृत महोत्सव पर गोवा सरकार ने विशेष रूप से आमंत्रित किया था मगर तबीयत खराब होने की वजह से चरणजीत कौर नहीं जा पाईं। उनकी जगह उनके भाई व भाभी पहुंचे थे। वहीं सीएम के मुख्यमंत्री ने उनके भाई-भाभी से वादा किया था कि वे खुद चरणजीत कौर के दर्शन करने अंबाला पहुंचेंगे। अब गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत आज अंबाला के गांव बड़ौला पहुंच रहे हैं। वह यहां माता चरणजीत कौर व उनके परिजनों से मिलेंगे।

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