उत्तराखंड
स्वास्थ्य सेवा के असुविधा के चलते महिला ने गंवाई जान, बच्ची के जन्म के बाद बिगड़ गई थी तबीयत…
पहाड़ी इलाकों में आज भी लोगो को अच्छी तरह से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं है। आज भी इलाज के लिए मरीज मैदानी जिलों के अस्पतालों में आते हैं। हालांकि पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को बढ़ाने या बेहतर बनाने के लिए बहुत से प्रयास किए जा चुके हैं और किए जा रहे हैं। परन्तु यहां की भौगोलिक स्थिति और संसाधनों के अभाव के चलते नए चिकित्सक स्वयं को नहीं ढाल पा रहे। और ना लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कई लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा जिसके चलते उनकी जान भी जा चुकी है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है हल्द्वानी से। पौड़ी के मैठाड़ा ग्वीन मल्ला में अपने पति अमित गौनियाल के साथ रहने वाली 24 साल की रेनू गर्भवती थी। मंगलवार को प्रसव पीड़ा होने के कारण अमित रेनू को लेकर गांव के पास स्थित बीरोखाल के सरकारी अस्पताल में पहुंचा। जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात शिशु के प्रसूति के कुछ ही देर बाद बाद रेनु को रक्तस्राव होने लगा। जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ गई। रेनू की बिगड़ती तबीयत देखकर डॉक्टरों ने उसको रामनगर CHC के लिए रेफर कर दिया। एंबुलेंस से रेनू को सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन यहां से भी डॉक्टरों ने रेनू को सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। लेकिन अस्पताल पहुंचने तक महिला की मौत हो चुकी थी।
एक पति अपनी पत्नी को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और दूसरे से तीसरे अस्पताल जाता रहा। इस उम्मीद में कि उसकी पत्नी की जान बच जाएगी। पर अफसोस , 6 घंटे एंबुलेंस में दर्द से कराहते हुए तड़पते हुए महिला ने अपनी जान गंवा दी। अमित एंबुलेंस में पत्नी के साथ बैठे रहे और लाचारी के साथ अपनी पत्नी को दर्द से कराहते हुए देखते रहे। उनके दुःख का कोई अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। रेनू की मौत के बाद पूरे परिवार में मातम छाया हुआ है और सभी परिजन गहरे सदमे में है। रेनू के पति अमित ने कहा :-“अगर पहाड़ में अच्छा अस्पताल और डॉक्टर होते तो उनकी पत्नी की जान नहीं जाती।” जो कि वास्तव में एक कड़वा सच है।
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