उत्तराखंड
विवादित भर्ती: प्रधानमंत्री को उत्तराखंड से है प्रेम, दिखेगा विशेषाधिकार का सही फ्रेम…
दिल्ली। विधानसभा भर्ती में अनियमितताओं के आरोपों ने प्रदेश में बड़ा सियासी भूचाल ला दिया है, तो राज्य के युवाओं में भी इस पर भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है लिहाजा, अब मामला हाईकमान तक पहुंचने के चलते कभी भी राज्य में बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है। संगठन स्तर पर सूबे में कईयों के पर कतरे जाने की चर्चा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के आधार,, दरअसल, भाजपा संगठन लोकसभा चुनाव (Lok sabha election) की तैयारियों में जुटा है। ऐसे में राज्य में यूकेएसएसएससी (UKSSSC) भर्ती घोटाले के बाद विधानसभा भर्ती में भाई-भतीजावाद को लेकर पार्टी कोई भी जोखिम लेने की मूड में नहीं है। भर्ती के इन मामलों से प्रदेश में युवाओं के रोष को भापते हुए अब संगठन मामले में सख्त एक्शन लेते हुए नजीर पेश करने की तैयारी में दिख रहा है। भर्ती के इस मामले ने राज्य में संगठन की छवि पर प्रभाव न पड़े, इसके चलते अब कभी भी हाईकमान की ओर से बड़ा एक्शन लिये जाने की चर्चा है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक भर्ती प्रकरण में माननीयों से लेकर संगठन स्तर पर राज्य में कईयों पर एक्शन हो सकता है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की ओर से भर्ती मामले की जांच कराने के फैसले से अब नियुक्तियां पाए लोगों के उपर भी तलवार लटकती दिख रही है। हालांकि, यह तो जांच पूरी होने के बाद ही साफ होगा कि आखिर क्या एक्शन लिया जाता है, मगर फिलहाल इतना जरूर है कि एका एक भर्तियों को लेकर प्रदेश में आए सियासी भूचाल और युवाओं में रोष को थामने के लिए भाजपा संगठन की ओर से बड़ा एक्शन जल्द देखने को मिल सकता है।
वंही,विधानसभा में विवादित भर्तियों की जांच के मामले में भी धाकड़ धामी ने वही किया जिसका इंतजार आवाम कर रही थी,बगैर किसी लाग-लपेट और देरी के धामी ने जनभावनाओं के अनुरूप ठोस निर्णय लेते हुए विधानसभा में भर्तियों के मामले में धामी सरकार के वर्तमान में मंत्री व पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष का नाम आने के बावजूद धामी झिझके नहीं और भाजपा-कांग्रेस से ऊपर उठकर उन्होंने पूरे प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष से जांच का अनुरोध कर डाला। सीएम धामी के इस कदम की खासतौर से युवा आबादी के बीच खासी प्रशंसा हो रही है। दूसरी तरफ अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी का भी सख्त रवैया अब तक के अध्यक्षों के स्टैंड पर एक तरह से सवाल खड़ा कर रहा है।
विधानसभा में बैकडोर भर्तियों से सदन की गरिमा के प्रतिकूल ठहराते हुए, अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने अब तक के अध्यक्षों के स्टैंड पर एक तरह से सवाल उठा दिया है। ऋतु ने साफ तौर पर विशेषाधिकार को सही फ्रेम में रखने की वकालत कर खासकर अपने पूर्ववर्ती प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
इसमें भी मौजूदा सरकार में मंत्री होने के नाते प्रेमचंद सीधे खतरे की जद में है। ऋतु खंडूड़ी ने साफ तौर पर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के कुछ विशेषाधिकार हो सकते हैं लेकिन विशेषाधिकार के नाम पर हर चीज को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इसे सही फ्रेम में देखने की जरूरत है।
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