उत्तराखंड
Big News: उत्तराखंड में कोरोना की तरह फैल सकता है मंकी पॉक्स, गाइडलाइन जारी, जानिए लक्षण…
देहरादूनः कोरोना वायरस के कहर से इस साल थोड़ी राहत मिली है। लेकिन अब दुनियाभर में फैल रहे मंकी पॉक्स ने दहशत बढ़ा दी है। विदेशों में तेजी से फैल रहे मंकी पॉक्स संक्रमण से बचाव के लिए उत्तराखंड में मंकी पॉक्स (Monkeypox) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। मंकी पॉक्स के लक्षण, संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट को लेकर गाइडलाइन भेजी है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार स्वास्थ्य निदेशालय ने राज्य के उच्च स्वास्थ्य अधिकारियों और जिलाधिकारियों को मंकी पॉक्स के बारे में अलर्ट जारी किया है। एडवाइजरी में कहा गया है कि बुखार और शरीर पर चकत्ते वाले मरीजों की सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को दी जानी चाहिए। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के लक्षण स्मॉलपॉक्स से मिलते जुलते हैं। इसके अलावा इसमें बुखार, सिरदर्द होना आम है। इसलिए कई बार लोगों को देरी से इसकी भनक लग पाती है। इसलिए दुनियाभर के चिकित्सक इसे लेकर लोगों को आगाह कर रहे हैं।
जानें मंकी पॉक्स को लेकर हेल्थ विभाग की एडवाइजरी
मंकी पॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में पाई जाती है। यह एक self-limited (स्व-सीमित) संक्रमण है, जिसके लक्षण सामान्यतः 2 से 4 सप्ताह में खत्म हो जाते हैं। गंभीर मामलों में इसकी मृत्यु दर 1 से 10% तक है। यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। यह वायरस कटी-फटी त्वचा, Respiratory tract, या mucous membrane (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु, वन्यपशु से मानव में वायरस का सर्कुलेशन काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे और अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर contaminated bedding) के माध्यम से हो सकता है।
इन लक्षण वाले मरीजों को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
- जिन्हें बुखार के साथ खरोंच या पानीदार दाने पाए जाएं।
- ऐसे व्यक्ति जिन्होंने पिछले 21 दिनों में किसी ऐसे देश की यात्रा की हो, जहां हाल ही में मंकी पॉक्स के प्रकरण की पुष्टि हुई हो अथवा संदिग्ध प्रकरण पाए गए हो।
- कन्फर्म या संदिग्ध मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क हुआ हो।
- सभी संदिग्ध मरीजों को चिन्हाकिंत (designated) अस्पतालों में तब तक अलग (आइसोलेट) किया जाना चाहिए। जब तक सभी घावों पर त्वचा की एक नई परत न बन जाए। इलाज करने वाले डॉक्टर द्वारा Isolation समाप्त करने का निर्णय लेने पर ही अस्पताल से डिस्चार्ज करना चाहिए।
- इन सभी लक्षणों वाले संदिग्ध मरीज IDSP के डिस्ट्रक्ट सर्विलेंस ऑफिसर (DSO) की निगरानी में रहेंगे।
- संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकी पॉक्स वायरस की जांच के लिए sample में fluid from vesicles, blood, sputum को NIV पुणे की लैब भेजा जाएगा।
- मंकी पॉक्स का positive प्रकरण पाए जाने पर Contact tracing की जाए। बीते 21 दिनों में मरीज के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान की जाये।
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