उत्तराखंड
उत्तराखंड: अगर मांग पूरी न हुई तो कनस्तर और रणसिंघे की धमक के साथ गूंज उठेगा आंदोलन…
नरेन्द्रनगर: पट्टी दोगी की ज्वलंत समस्याओं को लेकर पिछले 3 दिनों से 4 सूत्रीय मांगों को लेकर चलाया जा रहा सांकेतिक धरना आज समाप्त हो गया। संयुक्त संघर्ष समिति पट्टी दोगी के बैनर तले चलाए जा रहे सांकेतिक धरना के अंतिम दिन आज निर्णय लिया गया कि क्षेत्र की ज्वलंत 4 सूत्रीय मांगों का हल यदि 15 जून तक नहीं निकाला गया तो संयुक्त संघर्ष समिति आगामी 16 जून से पट्टी दोगी के केंद्रीय स्थल गूलर घाटी में पुनः क्रमिक अनशन से आंदोलन की शुरुआत करेगा।
संघर्ष समिति के इस निर्णय का धरना स्थल पर उपस्थित लोगों ने करतल ध्वनि के साथ स्वागत किया। संघर्ष समिति सहित क्षेत्रीय जनता में इस बात को लेकर भारी आक्रोश था कि 29 से लेकर 31 मई तक चलाये गये धरने के दौरान किसी भी अधिकारी अथवा सरकार के नुमाइंदे ने क्षेत्रीय जनता की पीड़ा व दर्द समझने धरना स्थल तक आने की जहमत तक नहीं उठाई। संघर्ष समिति के नेताओं का कहना था कि जन समस्याओं के निराकरण का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार जो कहती है वह करती नहीं है। संघर्ष समिति के नेताओं ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि धरने की सुध न लेने से जाहिर हो गया है कि सीधी उंगली से घी निकालने वाला नहीं है। ऐलान किया गया कि अब दोगी पट्टी की गूलर घाटी में फिर से 1986 और 1992 जैसे बड़े आंदोलन को जन्म देना होगा।
संघर्ष समिति के नेताओं का कहना था कि जब तीन दिवसीय सांकेतिक धरने से सरकार व शाशन के कान में जूं तक नहीं रेंगी, तो इससे जाहिर होता है कि सरकार क्षेत्रीय जनता को बड़ा आंदोलन के लिए उकसा रही है। जनता उसमें भी पीछे नहीं रहेगी।धरना स्थल के मंच पर ऐलान किया गया कि गूंगी-बहरी सरकार को कुंभकरणी नींद से जगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की तर्ज घंटी और थाली नहीं बल्कि कनस्तर और रणसिंघे बजाए जाएंगे।
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उल्लेखनीय है कि संयुक्त संघर्ष समिति ने पट्टी दोगी क्षेत्र में नेटवर्क बहाल करने, लचर अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने,पेयजल संकट दूर करने आदि ज्वलंत समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर गूलर में 3 दिनों का सांकेतिक धरना आयोजित किया था। तीसरे दिन आज धरना पर बैठने वालों में गोविंद प्रसाद रतूड़ी, शिव शंकर रयाल, राज कबसूड़ी, सुनील राणा, अरविंद पुंडीर, बृजेश, भगवान सिंह चौहान, गोविंद सिंह राणा पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य लोयल शामिल थे। सुदूर पट्टी दोगी क्षेत्र के दर्जनों गांव सहित इस आंदोलन को समर्थन देने लोग धरना स्थल पर पहुंचे थे।
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